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APPENDIX II.
पृष्ट २६-३८ श्री चारुशीला जी की वधाई।
, ३९-४५ स झी के कवित्त, विजया दशमी, शरद आदि के कवित्त । No. 157. Bāraha Māsā by Rāma Rūpa. SubstanceCountry-mado paper. Leaves-4. Size -6 inches x 6 inches. Lines per page-12 Extent-48 Slokas. Incomplete. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of DepositSaraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.-अथ श्री स्वामी रामरूप जीकृत व रहमासा लिष्टते ॥ गग सुहाव बिलावल ॥ छंद ॥ कार किया विचार मन में जनम चाला जात है ॥ दिन' कूधंधा जगत केरा हाय पाऊंगत है।। रैन दिन यां जाय सुष मै मैिित प्रावत है चलो। ले अचानक मारि कबहू भूल यह नाहों भलो ।। होय चेतन बडो नरतन बार बार न पाइये ।। जतन असौ करूं पूग आवागवन मिटाइयै ।। जनम मरन न होत जासं साई मारग लोजियै ।। रामरूप चरनदास हो करि भकि हरि की कीजिये ॥१॥ छंद ॥ भास कातिग करम काटन साध संगत में गयौ ॥ पूज जिनका सीस नाया समझ करि जहां मन दयो । अति उमंग तूं टूट मिलि या दूर करि अभिमानहीं॥ ज्ञान भक्ति और जाग ही की तहां लषा में षान हो। प्रेम उपजो चरन लागेा भक्त जन अपनों किया ॥ बांहि परि उर लगाया करी किरपा हित दियो । रामरूप कृ हेत कीनां चरनदासा जानि के ॥ कहा इत ही पाव नित ही टेक पूरी ठानि के ॥२॥ ____End.-सावन जु संजय गया सबही दिप्ट पोली ज्ञान की ॥ तन लषाया कियो तिरपत गई मति अज्ञान की। जब भये आनंद चहूं दमा प्रा में आनंद भयो । स्याम सारै में निहारै भोक दुष के सब गये ॥ रहा न अ या हुता था पा सहज वृत्त मेरो रही ।। भाव दृजे ना अस्मे सकल चिता हो गई ।। रामरूपा भये सरूपा गुरू रणजोता किये ।। गल लगाया दुष मिटायो परम सुष आनंद दिय।। ११ ।। घन घन मादा भाव गुरु का रहामा मन छाय क॥ वि.हछटाया हरि दिषाया की गुहार जु प्राय के ॥ कहा अतुति कर उनका अमर पाव मिलाइया । दरस तैहों सुधि विसारी पा xxxxx
Subject.- ईश्वर प्रेम अथवा भक्ति। ___No. 168(a). Dana Lila by Rama Sakhe of Ayodhya. Substance-Country made paper. Leaves-10. Sizeinches x 3 inches. Lines per page-8. Extent-160 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of DepositSaraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.