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________________ 312 APPENDIX II. घोर सामुद वर विनु श्रम गोपद सा तरै २७ इति श्री जान की पचोसो कवित्त समाप्तम् शुभं भूयात् रामनाथ कृत जो कोइ येका गावै मुनै ताकै मनोरथ श्री जानको जू पूरन करै कातिक मासे शुक्ल पक्षे पूरनवांसी संवत १९०४ लिषतं लूसन तं: Subject.-श्री जानकी जी का अवतार तथा उनको अनुपम छवि का वर्णन । No. 153. Rasa-mañjari by Rāma Nivāsa Tiwārī. Substance--Brahma paper. Loaves-86. Size-24 inches x 5 inches. Lines per page-9. Appearance-Old. CharacterNāgari. Date of Manuscript, damvat 1910=1853 A. D. Place of Deposit-Sõmēģwara Nātha Dūbē, Village Khānapura, Tahsil Méja (Allahabad). Beginning.-श्रीगणेशायनमः अथ होका पारा गंधक साहागा १ मृतक तात्र १ तूतिया १ सेाठि १ पोपरि १ मर्चि सव वरावरि लेव चून करव कुमारो के रस में मर्दि सुष इत्र प्रहर दुई ।। दुई रता खि प्राइव प्रथमहो ववन हाई पनि ज्वर जाई। पथ दही भात देव ।। पारा १ गंधक १ इगुर १ जैपार १३ सम ग्राषय सम लेव चुन कर वहं तोनीयो तिघारसमस नव दोन ति ३ दुई रती खाइ के देव दुइ पहर में ज्वर जाई॥ End.-अथ कववट करिबे को उपचार ॥ दोहा । रस कुहेर को ग्रह कनक तिल का तेल काउ भिजइ रुद्रपा तेन में कुच पालपटा । सिथिन भरा जो होइ कुच लग पिय कर अंग तेउ कुछ या तेन से गिरि मम हाइ तंग अथ जोनि संकोचो करणं दाहा ॥ बांधा पाटरो वा भांग को तिन रापे भग माहिं व्यानी के नुचेरये योनि हे 'इ ज्यों वांइ बुकना कर के मो वरस तिय राखे भग मांझ ॥ यानाकेऊ बेरये छोटा भग में जाइ॥ ग्स मंजगे समाप्तं संवत् १९१० फा० सु०॥ Subject.-वैद्यक होका पारा बनाने की विधि दवा पुष्टक सुवर्ण मारण औषधि दस्तको दर्द का इनाज प्रसूति का इलाज धतू मेधन तुवराध चूर्ण पाक विवि लवंगादि चूर्ण दाद को औषधि लाक्षादि तैल लेप औषधि
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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