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________________ 806 APPENDIX II. प्रगार १ सग विलावल मारुत सुवन सरिस काउ नाहीं सूर सपूत सुजान सिरोमनि बांकुर विन्द विदित महि माही १ रावन कुंभकरन उर सुर मुनि सकल हैन दिन साचि सुखाही से निज कोप समुद्र वहाया सकुल्ल समूल सदल तिन्ह काहीं २ अवध नारि नर राम विरह रवि तपत विकल पल जुग सम जाहों हरि संदेस सुनाइ दुष मेंटेउ पाप आइ केकइ सुत पाहो ३ जासु प्रीति गुण शील तेज प्रित प्रगट राम सिय सहित कहाही जदपि तदपि नहि हात बोध मन वार बार बरनत न अघाहो ॥ ४ End.-दाहा गमलपन रिपुहन भगत श्रुति कीरति हनुमान सीय उरमिला मांडवी सा करहों कल्यान १ पढ़े सुने समुझे गुने चारि वन में कोई सताराम प्रसाद ते रामभक्तवर होई ॥ इति श्री रामविनय नव पंचक संपूरन समाप्त भादों सुदी १४ सं० १८७० नव पंचक निज प्रति सति रचेउ गमगुलाम दोन देषि, कीन्ही कृपा अनुजन जुत श्री राम ॥ Subject.-पृष्ठ १-३ हनुमान विनय , ३-४ श्रुतिकीर्ति , ,, ४-५ अविद्यामोचन उर्मिला विनय ५-७ घ्याधमोचन मांडवी विनय ७-९ शत्रुघ्न विनय " ९-११ लक्ष्मण , , ११-१२ भरत , , १२-१४ जानकी , ,, १४-१६ गम विनय No. 148. Sringāra. Saurabha by Rimaji Mala Bhatta of Farrukhābād. Leaves--33. Size-9" x 7". Lines per page-20. Extent-400 Slokas, Character-Nagari. Date of Manuscript-Samvat 1904%3D1847 A. D. Place of DepositPandita Durga Datta Avasthi, Karnpila, District Farrukh. ābād. __Beginning.-श्रीगणेशायनमः वृदा राजरानी ग्रादि सत्य ठकुरानी वहां प्रदव सौ दवी सि डे लंघति हदीस को दासो है रमा सी श्री उमा सी है पवासी खासी पावत न जान जहां मनहूं शचीस का वाये कर वीन और दाहिने मवीन वर कोटि मारतंड का प्रकाश नख वीस को वातवारिजात नव पात पारिजात पद बात नित ईस को कि सीस जगदीस को
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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