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APPENDIX II.
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Samvat 1883 or A. D. 18.26. Place of Deposit-Saraswati Bhandāra, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning - श्रोज नकीवल्लभो जयति ॥ अथ श्री प्रष्टजाम नित्य अनुक्रम पद लिप्यंत || कंद चञ्चरो ॥ राग भैरे | | दोहा || रूप भरी ग्रह गुण भरी प्रेम भरी सुभगाय ॥ राम सिंग जु जनावहों हरि सहचरि चिन चाय ॥ १ ॥ पद प्यारो जीजू जगै लान लनना कमेदिनि सत्रुवानो दोन जाति भइ मलिना १ चंद मंद भयो नि विहानी सुनो सुपदानी भये है जु भार कमल षिले प्रीतन के चाव सौ चिरिया करन लागो मार २ राम रसी रसोनी सिया जू जगिये सुख दीजे हम नैन प्रेम भरे राग भैरा || लपेटे हरि सह बरो यै कहत है बैन ॥ ३ ॥ १ ॥ ताल आदि || श्री जनक नंदिनी राम कुंवर दोउ जगे पिय से सोय री समै ग्रनशाने गात वचन वालत अनशाने नैन महारस सा पगे ॥ १ ॥ निरषत अपुली दृष्टिरमिक की रसीली रोझि रहो लषि वोरी देनि की वसीली ॥ २ ॥ छुटे वार टूटे हार रतिरंग भयो भारी अंग अंग सिथिन प्रतिहो प्रोतम अरु प्यारी ॥ ३ ॥ मरगजे सुहावने वसन रसनन कहि आवै तिनको मोहनि पर हरि सहचरि वलि जावै ॥ ४ ॥ २ ॥
End. - बिहाग चौनाला || सुंदर सेज उजारी तारे सिर रघुवर दाऊ विहरतमा भरे || चंद्र महन नाने मुकता मंडप मणिनय दोप घरे ॥ रहस विनोद करन लगि गये पत्न मना अलि पंकज बीच परे ॥ सहचरो दंपति छवि को निछावरि तन मन प्रान करे ॥ २ ॥ १०६ ॥ इति श्री रामगोपाल जी के पद अष्टजाम के सम्पूरण | मिती असाढ़ बडी ९ सं० १८८३ ॥ सीतारांम सोतारांम सीताराम सीताराम सोताराम सीताराम सोताराम सीताराम सोताराम सीता राम सोताराम सीताराम । तारयो सरासन संकर को सेा भयो सिर के हिय में दुष भारा || राघव पंग कठोर महा वनि क्यों परि है हम तैौ सुकुमारी ॥ साथ सपो तु प्रवीन तो से कह्यौ पता सूर के वंस है प्यारो ॥ तेज सो नाप करै पर को वर कंज के फन्न प्रकासित कारी ॥ १ ॥
Subject. - श्री सीताराम को पाठो पहर को लीना ॥
No. 147. Vinaya Nava Panchaka by Rāma Gulāma. Substance-Country-made paper. Leaves-17. Size-8" x 5". Linos per page - 12. Extent - 250 Slokas. Appearance-Old. Character—Nagari. Date of Manuscript— Samvat 1870 or 1813 A. D. Place of Deposit-Lakshmana Kila, Ayodhyâ.
Beginning.—धो गणेशाय नमः ॥ अथ विनय पंचक निष्यते ॥ दोहा ॥ काहि सुनाई दीनता पर हरि पवनकमार जानत जन जिय को दसा मृदु चित किया