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APPENDIX II.
Lines per page-8. Extent-750 Slokas. Complete. Appearance-Old. Verse. Character-Nagari. Place of DopositSaraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.-श्रीगणेशाय नमः अथ अयोध्याविंदु लिष्यते ॥ राग सारंग जननी अद्भुत रूप दंषाया चिहुंकी तव समुझायो राम दंषाय विराट देह को अपना रूप छपाया जैसे गंजदइ रूपन का रतन फेकाइ चारायो १ छोटा रूप असल वेकीमत बड़े दाम सा गाया सहसन सिर कर मुष चरनो पै दाहिन वाम क.हायो २ काउ न जानै तवै वनगा यह नर नाच साहाया रावन मग्न मनुज करता से सा खेल वनायो ३ बड़ा देव काटिन अंसन त सब घट मांह समायो चहै तहां तसा प्रगटत सेा अस गुरु मम वतायो ४१ मुकुट मनि टप रावन के प्रगत पावन के राज श्री के अश्रुविंदु से कुफल सत वन के दंषत गिरे गुनि सिप लछन असगुन पावन के १ लंका रुदन सुन्त सुनत धुनि ह ष वढ़ावन के श्री हत भया प्रात ससि जैसा लागत ता वन कं. २ मन थिर करि गृह जोग मिलाइ सपट इस धावन के भूप सिरोमनि काऊ प्रगटाह महिन सावन के ३ देव दुदुभी के धुनि उघरे मंगल गावन के गया ताप हर सव जैसे पावत सावन के ४॥
____End.-ठोमरी मन मि रहु रामे झापड़िया में ना हित कालदूत जिउ लेडहै एक एक थापड़िया मे १ जाप अंक अमिट है विधि के जो किछ लिप पोपहिया में कान बनेगा सुद भाव से जस सुर वसत सापड़िया में २ गज महल में सा सुष नाहीं जो परपात धापडिया म सा रम झरी वैर में नाही जो रस मिले कापडिया में ३ इपदेव सियगहि भ्जु जिनि भृले वात चापड़िया में पलप कथन में का सष पैहै पेल गेनेस हा या में ४ कव कोन फूरत है भाई माहिनी के व हो समुझाई पांच वरिस में ग्राम फरत है महुआ पचोमी पाई तीनि वरिस में और पेड़ सब अम्लो तं सि बताई १ तत छन हों संगीत फरत है माम में कथा सुनाई बहुत काल में शास्त्र फरत हे नारी गनित सदाई २ काम देषि के भूप फलत है फलत न कूर कमाई साधु लोग सब दिन सबही को फ त धरे करुनाई ३ गुनवंतन को जग में आदर निरगुन तो दहि जाई गमदं व निरगुन जनहूं का भले लंत अपनाई ४ इति श्री अयोध्या विदु स.पूर्ण शुभः ।
Subject.-श्रीरामचरित्र वर्णन । ___No. 146. Ashtayama by Rama Gopila. SubstanceCountry -made paper. Leaves-17. Size-92" - 4". Linos per page-10. Extent-346 Slokas. Complote. Appearance-Old. Verse. Character-Nagari. Date of Manuscript