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APPENDIX II.
End. - नाम रूप लीला प्रभु धाम धारण पांच ॥ रामं चरण यह प विनु राम उपासक कांच ॥ ९८ ॥ रामनाम को सतक यह रचित अवधपुर सार || राम चरण यह समुझि गहु अनायास भव पार ॥ ९९ ॥ सीता कहि पुनि राम कहि परम गूढ़ रस जानि ॥ राम चरण यह परम मत राम दवत सुनि कान ॥ १०० ॥ सीता नाम तकार तत त्वं पर दीर्घ अकार से प्रकार ले सी सी तत्वमसि श्रुतिसार ॥ १०१ ॥ सी कहते सीतल करें कहि तकार तम नाम || राम चरण या कहत ही निज स्वरूप प्रभु पास ॥ १०२ ॥ इति श्री दृष्टान्त वोधिका रामनाम सतक सर्वशास्त्र सारभूत मंत्रार्थ सार वरननं नाम चतुर्थ सतकम् || हस्ताक्षर अवध सरन ॥
Subject.—रामनाम महिमा और सीताराम नाम का गूढ़ रहस्य पर महात्म्य वर्णन ||
Note.—यह पुस्तक पूरी है या अधूरी, इस का पता नहीं लग सका । No. 144(a). Paradhāma Bodhini by Rāma Dayāla. Substance—Country-made paper. Leaves – 21. Size - 11 " x 53 7. Lines per page – 13. Extent-- Nearly 600 Ślokas. Appearance--Old. Charactor--Nagari. Date of Manuscript- - Samvat 1929 = A. D. 1872. Place of Deposit -- Saraswati Bhandāra, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning. — श्रीसीतारामाय नमः अथ तत्व विभाग मंगलाचरण भाखा लिष्यतं दाहा वदों सादर गुरुचरण विदित सुमंगल रूप जासु कृपा वरणा कछुक तत्व विभाग अनूप १ ब्रह्म जीव के वीच महतत्वावरण अपार जा तत्वन्ह तं परिगय ताके करिये विचार चौपाई जातं देषि पहि नहि नेकू प्रातम फुर परमातम येक ताते तिन्ह तत्वन को भाई करि विभाग देषी सुष पाई १ इक्ष्णा पर ईश्वर जब करहों मूल प्रकृति तव तनु धरहीं ताते भव महतत्व सुहाई ताते संज्ञा महद् कहाई २ ताते अहंकार प्रगटाई तातें त्रिधारूप कवि गाई सात्विक रज तामस संचरई ताते पंच तत्व विस्तरई ३भा नभ पाकृत अनल अनूपा नोर भूमि पुनि विषय सरूपा भयऊ शब्द स्परस प्रवाहू दिव्य रूप रस गंध अगाहू ४ कर्ण तुचा चक्षु नासिका रसना इंद्री ज्ञान लिंग हस्त मुख पद गुदा इंद्री कर्म प्रधान ३
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End. – दोहा कुसल भई सव भांति ग्रव परसि कंज पद नाथ भई प्राप्ति निज रूप मम तव प्रसाद रघुनाथ ११ सुनि प्रसन्न सीता भई जानि अनन्य सुदास तासु उचित प्राज्ञा दई करहु सेव्य सुषवास १२ निज प्राचार्ज ताकी मिले जानि दास गहि लीन्ह किए पूर्व जस भावना तस सेवा शिष दीन्ह १३ मए कृतारथ रूप से पाए परम सुधाम रामदयाल चाचार्ज पद