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पृष्ठ २२० - दिग्विजय ।
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२२१ - संतान वर्णन ।
२२२ - राज तिलक |
APPENDIX II.
पृष्ठ २२३ – चन्द्रसैन दर्शन ।
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२२४ - नट नाटक कौतूहल ।
२२८ - ज्ञान वैराग्य सत्ता राज्य ।
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Note.- ऐतिहासिक उद्धरण - नूरदीन गाजी सक वंदी ॥ जिहि कै राज कथा रस वंधी ॥ जुग जुग तामु वरष घर राजू ॥ तिहि सन किया कथा कर साजू ॥ २७ ॥ येक सहस ऊपर पैतीसा ॥ सन रसूल से तुरकन दोसा ॥ अग्नि सिंधु रस इन्द्र प्रवाना ॥ सेा विक्रेतु संवतु ठहराना ॥ २८ ॥
No. 141. Rāma Mantra Rahasya Traya by Raghuvara Sarana. Substance- Country-made paper. Leaves-- 7. Siz -12" x 6". Lines per page--15. Extent-250 Ślōkas. Appearance-Old Character — Nāgari. Dato of Manuscript -Samvat 1933 or A. D. 1876. Place of Deposit-Saraswati Bhandara Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning. - श्रीमतं रामानुजाय नमः ॥ दोहा ॥ रामलपन सीता सहित पवन तनय कर जारि रहस्य श्रय का अर्थ वर कहव यथामति मोरि १ मंत्रराज के अर्थ विना जिय संसय नहिं जाय ताते अर्थ विचार वर निसवासर चित लाय २ मंत्रराज की जाप कर मंत्र मूर्ति का ध्यान सदा मनन हिग्दं घरे परम उपासक जान ३ राम विना जो और को मानत रक्षक जाय मंत्र अर्थ को ज्ञान नहि अन्य उपासक साय ४ अवधपती तहि अवध मे कल्प सुतरु वर छांह बैठे मणि मंडप तरं रत्न सिहांसन माह ५ शिव सनकादिक ईश अज नयन विषय सा मांहि सेनादिक हनुमत सहित सर्वाहं निज प्रभुताहि ६ सत्य कल्पना कामतरु बार कृतज्ञ वखान कल्याणादि असंख्य गुण करुण वोर सुजान भुव प्रवाह निज वासना माया सहित सुजीव भक्ति ज्ञान ते शून्य है जानि जगत पति सीव ८ सिया सहित साकेतपति भूपति इच्छा कीन्ह कमलनयन करुणायतन जनम अवध में लीन्ह ५ रावणादि वहु असुर गण हनत मुक्त प्रभु दोन्ह पामर जन्मु विषय वस नयन विषे करि लीन्ह ॥ १० ॥
End.-करम ज्ञान दानादि सव विविधि अनेक उपाय करणे मै असमर्थ हो राघव शरणे आय १४ चरम वाक्य को सुमिरि कै निश्चै मन में कीन छमि है पाश्रित दोष सब निर्भय ईश्वर धोन १५ यहि विधि मंत्र विचारि कै राषै दृढ़ विश्वास हरि गुरु से सावा र तारै भव को फांस १६ रहस्य य की अर्थवर कीन्हो मन चित लाय नाम बिमल रघुवर शरण संतन हित सुवनाय १७ इति श्रीराम मंत्र रहस्य त्रय समाप्तम् संवत १९३३ चैत्र शुक्ल ८ श्री ।
Subject. - श्री राम मंत्र रहस्य अथवा राम मंत्र का गूढ़ार्थ वर्णन ॥