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________________ APPENDIX II. 291 कोनी कृपा वई नेरे सानम गुमान में तोऊ लोभी गति मति मागे किती वार कहो गही मांगिबे की अवधि पुरान मैं जितो सव गाय कहे मेरो लेके नाम उन वृन्दावन पायो यह मेहूं सुनो कान में ५३ इति श्री प्रियादास कृत चाहवेली सम्पूर्ण । Subject.-स्तुति श्रीराधाकृष्ण की। No. 140. Rasa Ratna kāvya by Pauhakara. SubstanceCountry-made paper. Leaves--232 Size-9 inches x 6 inches. Lines por page-17. Extent-2,760 Slokas. Appearancenew. Character-Nagari. Date of Composition-Samvat 1675 or A. D. 1618. Date of Manuscript-Samvat 1892== 1835 A. D. Place of deposit-Babu Purushottama Dasa Tandana, B.A., LL.B. Vakil, Allahabad. Boginning.-श्रीगणेशायनमः ॥ श्री परम गुरुभेनमः ॥ अथ रसरतन काव्य पाहकर कृत लिप्यते ॥ छप्पय ॥ सगुन रूप निर्गन निरूप वाह गुन विस्थारन ॥ अविनासी अवगति अनादि अघ अटक निवारन ॥ घट घट पृगट प्रसिध्धि गुप्त निरलेप निरंजन || तुमहिं आदि तुम अंत हो तुहिं मध्य माया करन ॥ यह चरित नाथ कहँ लगि कहां नाराइनी असरन सरन ॥१॥ घोषत मुनि श्रंगार मात कहना मनि पंडित ॥ आपु हास रस जुगत मान मघवा वल पंडित ॥ वाल वैस अदभुत चरित्र वृजवासिन जान्यो । मेघ वीर बलिभद्र रुद्र सुरपति भय मान्या ॥ अति प्रताप वीभस्त हूव गौव गोप संतः करन ॥ पोहकर प्रताप तिहुपुर गट सुनव रस वस गिरधर सरन ॥२॥ सुख समुद्र सव जगत भग्त वत्सल पृति पालक ॥ धरै गवरि अरधंग प्रेम विस्तारन कारन ॥ ____End.-पुहुकर वेद पुरान मिलि कोना यहै विचार ॥ ईहि संसार प्रसार में राम नाम निज सार ॥ ६१ ॥ वैरागर वैराग वपु होरा हित हरि नामु ॥ प्रीति जोति जिय जगमगै हरे प्रविधि तनु तामु ॥ ६२॥ सत संगति सत बुध्धि उर विविध रनी संग लाई ॥ ग्यान वान प्रस्थान करि तेज विष सुष भाई ॥ ६३ ॥ ताते तत्तु लहै सुकत्रु सूझि देषि मन मांहि ॥ कोई तेरे काम नहि तू काहू को नाहिं ॥ ६४॥ पर धन पर दारा रहित पर पीरहिमन लाहि ॥ काम क्रोध मट लोभु तजि विजय निसा नव जाहि ॥६५॥ पहुकर भवसागर गरूव निपटहिं गहिर गंभीर ॥ राम नाम नौका चढ़ हरिजन लागै तीर ॥ ६६ ॥ इति श्री रस रतन काव्ये कवि पहुकर विरंचिते वैरागर खंडे ग्यान वैराग्य सत्ता राज्य तत्त वर्ननो नाम पोड़समोध्याय ॥ १६॥ सम्पूर्ण समाप्तं ॥ संवत् १८९२ ॥ अथ नमासे ॥ शुक्ल पक्ष तिथी चतुर्थीयां ॥ ४॥ भौमवासरे ॥ लिष्यते कायस्थ छोटेलाल ॥ शाकोन ॥ मिरजापुरे ॥ गंगा निकटे विंध्य क्षेत्रे॥ अस्थि तटं मलगंज । मंगलं ददातुः॥
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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