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APPENDIX II.
Subject.- श्री सीताराम के नखसिख को शोमा ।
No. 137(a). Jānaki Rāma kā Nakha Sikha by Prēma Sakhi. Substance-Country-made paper. Leaves - 18. Size-11]" x 5". Lines per page-12 Extent--425 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmanas Kota, Ayodhya. ___Beginning:-श्रीरामानुजाय नमः ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ श्रीजानकीवल्लभाय नमः ॥ सारठा ॥ पिंगल में नहीं होस (1) काव्य रीति जानो नहीं ॥ माहि तुम्हार भरोस (1) श्री विदेहनृपनंदिनी ॥१॥ औगुन विस्वा वोस (1) जदपि गुन येको नहीं ॥ सियपद रज धरि सीस (1) प्रेमसषी कहे जथामति ॥ २॥ कवित्त ॥ चंचलता सिगरी तजि के थिर ह्यौ रहु ते यह बात भली है ॥ सेऊ सियापद पंकज धूरि सजीवन मूरि विहार थली है ॥ वारहि वार सिषावत है अपने मन को यह प्रेम अली है ॥ ठाकुर रामलला हमरे ठकुराइन श्री मिथिलेश लली है ॥ १ ॥ घनाक्षरी॥ चिन्हित प्रकासमान अंकुसारि चिन्हन ते ॥ वसे प्रेमसषी मध्य अंतर उरोज की ॥ जाकी नष राजी विधु है कै संभु सीस राजो आगुरी अमल मान मरदन मनोज के ॥ सरन सिधारे भव सिंधु ते उधारे वेद कहत पुकारे ए दवैया मुक्ति मोज के ॥ वानी वारिजासन भवानी औ वृषासन जू रहत सरन सिय चग्न सरोज के ॥२॥ ___End.-राग बरवै ॥ सिया वालाये सखा सहि अनुगग ॥दै अमोष पट भूषन उचित विभाग १ लछिमन कहि रिपुदवन स्यस्ति मुख मूल ॥ पट भूषन पहिराय जानि सम तूल ॥ २॥ चले वंदि मन मुदित छुधित मन मैन ॥ सिया रूप उर धारि राम मुष अन ॥ ३॥ सपिन कह्यौ पठय करि फागु अव देहु ॥ विहमि कह्यो रघुनाथ जथारुचि लेहु ॥४॥ मांगत यह कर जारि सिया सियनाहु ॥ प्रेम सषी हिय वसहु दिये गलवाहु ॥ ५॥ संपून येही छवि मगन रसिक जन पूरन काम ॥ जन्म लाभ जग माह यह भजिय सीय सियराम ॥ ६॥ शुभमस्तु ॥ .
Subject.-श्री सीताराम के नख सिख की शोभा।
No. 138. Bhakta-mala Rasabodhani Tika. by Priya Dasa. Substance-Country-made paper. Leaves-788. Size-73," x3. Lines per page-9. Extont-3,100 Slokas. Appearance-Very old. Verse. Character-Nagari. Date of Composition-Samvat 1769 or A. D. 1712. Date of Manuscript :-Samvat 1831 or A. D. 1774. Place of Doposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning:-श्रीराघोवल्लभोजयति ॥ अथ भक्तमाल टोका ॥ मंगला चरन ॥ तथा आशा निरूपन ॥ कवित्त ॥ महाप्रभु कृष्ण चैतन्य मनहरन जू के चग्न