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________________ APPENDIX IT. 287 सुधि लै जाति विरह दमारि देह लेति न वचाइ कै ॥ प्रेमसको सांवरो छवीला जुलुफनवारो छैन यहि गेल गये। छवि दरसाइ कै ॥ छूटत सरोर बिनु देखे रघुवीर लिषु ताकी तसवोर जाहि जोवै हिए लाइ कै ॥ १ ॥ प्रेमसम्बी राम रूप देष का दौरती है झो तो बुलाइ काह युवती सयानी सेा ॥ मिथिला सदर में कहर परि गयेा भई घायल घनेरी का झूठ ना सुवानो सेा ॥ वेधो परों प्यारो नारी गैलन अपरी पे तापे नैन वान मारे भौंह धनु तानी सेा ॥ बैठि घर मंद हांसो फांसो गरे डरि डारि कीन्ही कतलाम केती जुलुफ कृपानी मा ॥ २ ॥ End. -लहरियां लेत झूलै रे झूलै रे ॥ फूली सुघर वर नारि कुंज में निरषि छैन अनुकूलै रे ॥ चटकीला सुर पाग सुरंगी मित्र मागे रम मूत्रै रे ॥ मोल मनि चैन न नेन भरि लपि दंपति समतुले रे ॥ ३ ॥ छिन छिन प्रेम सत्री पुनक पसीजै गात || आवति न वात ना रहति मुबि सारी की ॥ नाँद भूष भागी दिल और ही जिकिर लागो विप मा लागति वाली और हितकारी की ॥ घर में रह्यो न जाइ बाहर न जान पैए अंजुम धंमति नाहीं अंपिया हमारो की ॥ फूल धनुवारो देह दाहत हमारी अभी जब ते निहारी छवि प्रवत्र विहारी को ॥ १५ ॥ पूर्ण Subject. - श्री सीताराम विषयक प्रेम के कवित्तादि । -24. No. 137(c). Janaki Rama kō Nakha Sikha by Prema Sakhi of Ayodhyā. Substance — Country-made paper. Leaves Size - 7 " x 52". Lines per page - 10. Extent - 180 Ślokas. Appoarauce-Old. Character - Nagari. Place of Deposit — Saraswati Bhan lāra, Lakshmana Kota, Ayodhyå. Beginning.- श्रीसीतारामोजयति ॥ सारठा ॥ पिंगन में नहिं होस ॥ काय गांव जान नहीं ॥ मेाहि तुम्हार भरोस || श्री विदेह नृपनंदिनी ॥ १ ॥ गुन विश्वा बीस (1) यद्यपि गुण एक नहीं ॥ सियपद रज घरि शीश || प्रेम सपो कई यथामति ॥ २ ॥ सवैया ॥ चंचलता मगरी तजि के रहाय रहो तो यह वात भी है || सेउ सिवापद पंकज धूरि सजोवन मूरि विहार थली है (1) बारहि वार साषवति है अपने मन को यह प्रेम अनी है ॥ ठाकुर राम लला हमरे ठकुराइन श्री मिथिलेस लली है ॥ ३ ॥ End. - मुष की उपमा कवि कौन कहै मृसुकानि सुधारस से वरसै ॥ पट पोत सेा जानकी चूनरी से सभ गाठि विलोकत चित फसै ॥ यह दूलह रूप सियावर को नित प्रेमसबो उर माहि वसै ॥ २५ ॥ स पर भुज धरै निस दिन पूरन काम ॥ प्रेमसबी के उर बसै सियाराम छविधाम ॥ १ ॥ इति श्री प्रेम “सपो विरचितायां श्रीजानकी राम का नबसिष सम्पूर्ण ॥ शुभम् ॥
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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