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APPENDIX II.
-Old. Character-Nāgari. Date of Manuscript-Samvat 1917 or A. D. 1860. Place of deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Ko ta, Ayodhya.
Beginning.-श्रीगणेशायनमः श्रीमते रामानुजाय नमः दोहा वंदी वैार दिषाय के समय सुनाया जाय ॥ अति विनोत कर जोरि कै वाल्यो आयसु पाय ॥ कवित्त ॥ प्रेमसखी कोकिलान को वंसी पुकारति है मंद गति मारुन गयंदन को साज है ॥ ठार ठौर वाजो से विराजे वृक्ष कोसुक के प्यादे से गुल्मलता भ्राजत समाज है॥ स्यंदन रसाल जाम थी (श्री)रतीनाथ वैठ्यौ फूल सर धनु हाथ मट सिरताज है ॥ महाराज रघुराज रावरे मिलन हेतु सैनां चतुरंग संग आयो रितुराज है ॥ १॥ वैर झुके चहुंधां औलौकिय मानौं कर जु वसंत जुहार हैं ॥ डार रसाल को डोले सवै जनु राघव तेज ते कंपित भार है । सेवतो कुंद निवारी गुलाब के फूल धरै सब भेट अपार है ॥ प्रेमसखो कर जोर खरो सब को हितु है रितु को सग्दार है ॥ २॥
End.-वरवा ॥ मिया वोलाये सखा सहित अनुराग ॥ दे असोस पट भूषन उचित विभाग ॥ लछिमन कहि रिपुदमन स्व सतो मुप मून ॥ पट भूषन पहिराइ जानि समतूल || चले मुदित पद वंदि छुधित मन नयन ॥ मिया रूप उर धारि राम सुष दैन ॥ सखोन कह्यो पट पकरि फागु अव देहु ॥ विहंसि कह्यौ रघुलाल जथारुचि लेहु ॥ मागत येह कर जारि सिया सियनाह ॥ प्रेमसखी हिय में वसहु दिये गलवांह ॥ इति श्री प्रेमसाबो कृत होरी छंद कवित्त दोहा सारठा छप्पै प्रबंध सम्पूर्णम् वरवं येहु छांव मगन रसिक जन पूरन काम ॥ जन्मलाभ जग माह भजिय सिय राम ॥ कवित्त ॥ चंद की चाह चकोर करे निमि दीपक जोति जरे जो पतंगो ॥ मार चहे घन घोर किसार को मीन मरे विछरै जल संगी॥ स्वाति के बूंद को चात्रक चाहत केतकी वास को भंवर भीरंगी ॥ ये सव चाहत वै नहि चाहत जरै यह प्रीति को रोति ये कंगी ॥ सुभमस्तु । संवत् १९१७ पूस ॥ ___Subject.-१०. प्रेम सखी कृत श्री सीताराम को शोभा तथा ध्यान वर्णन श्रीराम की कोडा व फाग खेलना ॥
No. 137(6). Ka vittādi Prabandha by Prēma Sakhi. Substance-Country-made paper. Leaves-6. Size-63" x31. Lines per page--7. Extent-70 Slokas. In. complete. Appearanco-Very old. Character-Nāgari. Place of deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.-श्रीसीताराम जू सहाय ॥ राजकुल नारी मुकुमारी वै सनेह वारी वूझती विचारी ते चितेरिनि वुलाइ कै॥ मुष मांगो दैहै भरि जन्म