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APPENDIX II.
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Bnd.-दृध पूत धन आहि अनंता ॥ हम परसाद कछु लेहु तुरंता ॥ है। राजा सौ कहा विपरीता । देवी पाजु करै अजगूता ॥ रोए नाउनी अस कहा पुकारी ॥ छुटे केश न देह संभारी ॥ कादे विनु कीन्ह अजगुता ॥ भाखेहु देत जे दुःख वहूता ॥ मैं उहमा सौ चलेउ पराई ॥ वालहु और ते गोहराई ॥ वाट परौरा जा तार लाई ॥ नौकाहि धै खाएसि खिसिआई ॥ नाउनी कहा राजा समुझाई
।अपूर्ण । Subject.-प्रसिद्ध कथा रामायण की।
No. 135. Vaidya Darpaņa by Prāṇanātha Bhatta. Substance-Country-made paper. Leaves-52. Size-11" x8". Lines per page-30. Appearance-New. CharacterNagari. Date of Composition-Samvat 1877 or A. D. 182). Date of Manuscript-Samvat 1877 or A. D. 1820. Place of Deposit-J.J. Martinelli Pādari, Kidagañja, Nai Basti, Allahabad.
Beginning.-श्री गणेशाय नमः नमस्कृत्य गणेशानं महेशांनं महेश्वरों। वैद्य दर्पणमचष्टेवैद्यानां हितकाम्यया ॥१॥ स्वर्णाद्या धातवायेस्युस्तथादुपधा तवः । रस श्री परसाश्चैव यावंता जगतीतले ॥ २॥ रत्नानि चापरत्नानि विषासयुपविषानि च । साधनं मारणं तेषां वक्ष्याम्यादी समासतः ॥ ३॥ तदुत्तरं ज्वरादीनां कथयामि चिकित्सतं ॥ अथ प्रथमं धातनां संख्यामाहः साना १ रुपा २ तांवा ३ रांगा ४जस्ता ५ सीसा ६ लोहा ७ ये सात धातु हैं अथ धातु शोधनमाह ॥ एक तोला भर साने के कंटक वेधी ८ पत्र करै ॥ एही भांत रूपे के ८ पत्र करै और पही भांत तांबे के पाठ पत्र करे ॥ गरम कर कै पहिले तिल के तेल में वुझावे और तीन वैर गाय के माठा में वुझावे और तीन वेर गाय के मूत में वुझावे और तीन वेर कांजी में वुझावे तीन वेर करथी के काढ़ा में वुझावे तव साना रूपा तांवा तोनों धातु शुद्धि होय ॥ रांगा. जस्ता, सीसा इन तीनो धातु का जुदा जुदा तीन २ गलाय के तैलादिक में वुझावै तव ये तीनों धातु शुद्ध होय ॥ लोहे के टुकरा कहे अग्नि में गरम कर के तलादिक में वुझावे तव लोहा शुद्ध हाय । इसी भांति सुवर्ण आदिक सातु धातु कह शोधय ॥ इति सप्त धातुनां शोधनं ।
End.-अथ चटनी कासस्वासे । हर्र का वकला काकडा सोंगी पीपर मुल का दाष जवासा छेलकह घत हर एक पैसा पैसा भर लेय सहद ६ मासे भर लेइ मिला मिला गोली करै वेर प्रमाण कास म्वास दूर होइ अनुभूत है अथवा सहद से चाटै इति कास स्वास चटनी ॥ इति श्री कल्यण भट्टात्मज श्री प्राणनाथ भट्ट