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________________ APPENDIX II. 979 गाइयो । हा हा रे नोहरदास तेरे रहे तन मन छाइ जे ॥ १ ॥ क का कहीं कहि सा जात नाही बात उस करतार का ॥ जेन रच्यों घ्याल विचार जगमें अलष अन भव वात को ॥ वुद से जेन विंद कोन्यों साजी काया चाम को ॥ हाहा रे नोहर दास तेरे पासरा मै नाम की २ षा षवरिन उस रोज की जिस राज से पैदा हुआ धृकार असे जियन को कि जिप्रत हो तू ना मुया मैं कहत हैं। चित लाइ तन मन सोच पाठो जाम की हा हा रे नोहर दास तेरे पासरा मै नाम की ग गात से सव नात भे सुत वंधु वनिता ताते रे सव अंत झूठे होहिगे यह प्रान केवल जात रे जग जरनि मे है मरनिं साचो देषु कैानेउ काम की हाहारे नोहर दास तेरे आसरा मै नाम को __End.-हा हसत हो गति देषि जग की वसत है। सतलोक मे पायौ परम आनंद मन मे प्रावता नहि साक मे यह ष्याल अनभव जो कहै पूरो कमाई ग्यान को हाहा रे नोहर दास तेरे पासग मै नाम को प्रा प्रवरि वातै क्या कहा अपार लीला राम की तू जानवे हो जानि ले यह झठि काया चाम को हरि सुमिर ले हरि सुमिर ले (हरि) सुमिर ले मन पातको हाहारे नोहर दाम तेरे आसरा मै नाम की ई ईहे समुझे ग्यान अनभव चारि फल तिनके सदा सुर सन्त मुनि सिव सेस नारद मन यही सव को वदा जो करहिगे सेा तरहिगे करिहै न मासा पान को हाहारे नोहर दास तेरे आसरा मै नाम को ॥ ३२ ॥ इति श्री अनुभव ग्यान अपंड ब्रह्मरूप दर्शनो नाम सतिवानी संपूरन समापत राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम । Subject.- "ब्रह्म सत्य जगन्मिथ्या जीवा वह्म व नापरः"की व्याख्या और हरिभजन की महिमा। No. 131. Masalē Nāmā or Upākhāna Vivāka by Pahala. wāna Dāsa of Bhikhípura. Substance--Country-made paper. Leaves-16. Size--73" x 3". Lines por page-9. Extent-250 Slokas. Appearance-Old. Character --Nagari. Date of Composition-Samvat 1865 = A.D. 1808. Date of Manuscript-Samvat 1898 =A.D. 1841. Place of Deposit - Saraswati Bhandara, Lakshmana Ko tar, Ayodhya. Beginning.-श्री गणेशायनमः अथ लिषते मसले नामा पहलवान दास कृतं दोहा ॥ महादेव गणराज जू गिरजा सुरन समेत वंदो सुरपति फनपति हि रामभक्ति के हेत ॥ १॥ सुरसरि भूसुर सर्व मुनि जगत पिता रविचंद पवन तनै तुमते विनै पल्हवान दास मतिमंद २ करहु कृपा जन जानि के देहु सुमति सत ज्ञान नाम रटन लागो ग्है अजपा सुमिरन ध्यान ३ मच्छ कक्ष वाराह
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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