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APPENDIX II.
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Beginning.-अथ उड्डोस लिख्यते ॥ चारि देवदार चन्दन वर की जर पांनी सा वांटिये विभूति संयुक्त माथे तिलक करे तो सर्व जन वस हाइ ।। पथर सगा की जर पुष्य नक्षत्र में लाजै और रुद्रवती लीजै और जों की जर लीजे उ कारी कन्या पै सूत कताई वांधै तो सर्वत्र पूज्यमान होई ॥ अथ मंत्र॥ए परंछो भगवती गंभीरे रक्ष ॥ २॥ स्वाहा ॥ अथ और प्रयोग ।। आधा झारे की जर गोरोचन वरावरि लीजै पानी सा वांटि तिलक करें तो तीनि लोक वस होय ॥ अथ मंत्र ॥ ऊँ नमो कंद संवारिनी जारिणी मालिनी सर्व लोक वस करनाय स्वाहा मंत्र अष्टोत्तर सत वार जप ता सिद्धि हाइ॥ ___End.-रुद्रवती तेलिया के दसर कंडे नेनु घृत गायके में काजर को मर्दन करें जा पुरख के लेपन करें सा पुरुष स्त्री को दिखाई परें॥ रुद्र जटा स्वेत अर्क तथा जो है। छिर हयायो वौषधि पुनर्वसु नक्षत्र में लै के तावीज में मढ़ावें माथे में राखे तो जहां जाय तहां वोल ऊपर न आवें वड़ी सिद्धि पावें सभा में वोल वाला होइ ॥ मंत्र ॥ ॐ नमो हूं हां लं है हूं ठः ठः फट् स्वाहा ॥ जहां लो चलै तहां की या मंत्र है पढ़ि लेइ सिद्धि होय ॥ इति श्री पार्वती पुत्र नित्यनाथ विरचिते सिद्धि खंडे मंत्र सारे अमृत संजीवनी नाम सप्तमोऽध्यायः॥७॥ अङ्क त्रिनव इन्दु स्यात् विक्रमस्या नृपोत्तम ॥ श्रावणस्याऽसित पक्षे सप्तम्यां भृगु वासरे ॥ कार्णि पुरुषोत्तम भट्टस्येदं पुस्तकम् ॥ Subject.-मन्त्रादि।
१--४ वस्याधिरुधिर नाम प्रथमापदेश । ४-८ सिद्धि प्रादि वर्णन८-१३ , आकर्षणादि , १३-१५ कुतूहल नामोपदेश, १५-१७ यक्षणी आदि , १५-२१ अञ्जन साधनादि ,
२१-२३ अमृत संजीवनी , No. 130. Sati Bāni by Nõhara Dāsa. Substance Country-made paper. Leaves--6. Size-7}" 21". Lines per page-8. Extent-100 Slokas. Appearance-Old. Oharacter -Nagari. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning:-जै श्री गनपति सेस सारद नारदादि मनाइ कै ॥ अंजनी सुत मधुर मूरति लाज राषुहु पाइ कै॥ आदि ब्रह्म अनूपनिन को विमल गुन गन