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APPENDIX II.
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No. 128. Kavitta Nipata jí kē by Nipața Nirañjana. Substance-Country-made paper. Leaves--44. Size—7}" x51" . Lines per page-21. Extent-- 925 Slokas. Appearance-Old. Character-Nāgari. Place of Deposit-The Public Library, Bharatapur State. ___Beginning.-श्रीगणेशाय नमः॥ अथ निपट जी के कवित्त लिख्यते॥ दोहरा ॥ ग्यान भक्ति वैराग मत कहे जु वाक कवित्त ॥ पढ़ सुनै जामै लहै निपट निरंजन नित्त ॥१॥ उकति जुकति जामै सवित वित चित लही न जाय ॥ एक कवित पर
करन हे सव विधि रहो समाय ॥ २॥ निपट निरंजन समय पर कहे जु वचन विलास ॥ ते सब मैं अनुक्रम करि निषे नाम धरि तास ॥३॥ वैराग्य कवित्त ।। भूमि प्रकास सुधा रस सोंचि विरंचि से वोज हरी दल जागे ॥ शंकर साष कली घन आनंद वेद से फूल पुले रस पागे । वाकै पकै निपटा सुनिरंजन हे परमेसुर से फल लागे ॥ मा निज स्वाद मवाद को लैन रहे वह वाग गये चलि प्रागै॥१॥ भक्तिवाद ॥ पापही से जोजे वड पाप यहै वैये पीजे फूल फन तोरि मुष डागा मु डागी ॥ तारन तुम्हारे वाट वूड़ वूड़ि वा गरूर भयो तारैगी सु तारेगी ॥ निपट निरंजन निहारिवे नौनीकै करि टेक आप आपनो है टारेगी सु टारेगी ॥ हम तो पतित तुम पावन पतित है। जू पावन पतित हू से हारैगा सु हारेगौ ॥२॥
___End.-या अटवी को मटो धर चक्र घटी घट के भट तै मठ पानों ॥ आप मधू दधि औ घृत तेल गुलाव सुरा विष अमृत ठान। ॥ केशिव सीस धसे निपट निरअंजन के अवनी ठहिरानीं ॥ आदि तो जाना है जानी हैं अंतमु आज ही ते तुम यौँ करि जानां ॥ २१३॥ वाय चहुं दिस धाय सुभाय मुपेच परे वहु फूल फिरानौं ॥ धूर रजो रज के किनका तुनका तुन पात हो पात उरानीं ॥ मारुत सा निपट निरअंजन हाइ वधूला अकास समानों आदि ता जाना है जाना है अंत सुमा x x x x x
अपूर्ण Subject.-ज्ञान, भक्ति और वैराग्य के कवित्त।
No. 129. Uddisa Tantra by Nitya Natha. Substance -Country-made paper. Leaves-23. Size--7" x 61". Lines per page-12. Extent-362 Slokas. Appearance --Old. Character-Nagari. Date of Manuscript-Samvat. 1939=A.D. 1887. Place of Deposit-Pandita Natthi Bhatta, Govardhana, Mathurā.