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APPENDIX II.
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No. 127. Basanta Rāja Bhāshā by Nidhāna. Substance--. Country-made paper. Leaves-164. Size-8" x 6". Lines per page-15. Extent-2,767 Slokas AppearanceOld. Character-Nagari. Date of Composition-Samvat 1833= A.D. 1776. Date of Manuscript -Samvat 1837 = A.D. 1780. Place of Deposit-Pandita Rima Gopala ji Vaidya, Jabūngirābād, Bulandasahar.
__Beginning.-गण पति विनय रमा रमा पति राम || शिर धरनि प्रणम्य कर संकर पूजक काम ॥ शाष्टांग गुरु को नमत जो मत वुध दातार ॥ जिनकी कृपा कटाक्ष तें अगिनित विघ्न प्रहार ॥ दया करो मुनि विवुध गण करू सगुण शुभ ग्रंथ ॥ समुझै परै निरुपाधि को अरु उपाधि को पंथ ॥३॥ वीर धोर गुन ग्यान निध रघुपति श्य हनुमान ॥ तिनके चरणशराज जुग वंदित मुदित निधान ॥ सकल मुरन को विनय कर कर मुरमरि मनुहार ॥ धर्म सिंघ भूपाल रुच करू ग्रंथ विस्तार ॥ ५॥ गवरि गिरा गिरजा रवन गणपति गुर उरचार || प्रथम वंश भूपाल को कहि पुन सागुन सार ॥ ६॥ भानुवंश रघुवंश मै भये हंस जिमि धीर ॥ वोर नरायन सम कह्यो वीर नरायन वीर ॥ ७॥ चौपई ॥ अनी राय तिनके कुल दीपक ॥ दिल्लीपति मुलतान समीपक ॥ तेज निपुन विद्या वल पूरो ॥ वाणा वीर धोर रण सूरो ॥ जिन वल भुज के हर मद गारो ॥ सिंघ दलन कहि सार उचारो ॥ सूरत सिंघ नाम मुत ताको ॥ ता समान वरनू वल काको ॥ क्षत्र सिंघ क्षित पत तिह नंदन ॥ जिनकी ही अचलेस्वर वंदन ॥ ताते अचल सिंघ सुत पाया जाको सुजस भुवन मै छायो अचल सिंघ सम को वड़भागी । तारा सिंघ सुवन जिह लागो॥
End.-दाहा ॥ दारिद विद्रावण सगुन नाम सकल सुखसार ॥ भाषा भन्यो निधान ने कर सव सुर मनुहार ॥ चौपई ॥ धर्म सिंह भूपत गुन जंत्री॥ केवल कृष्ण जासु दृढ़ मंत्री ॥ कुल कायस्थ निपुन परवीना ॥ दयावंत हरि पद लय लोना ॥ केवल कृष्ण नृपहि उपदेसा सगुन करन तव कहेव नरेसा ॥ तव निधान हिम धार हुलासा ॥ गवनो शुखानंद दुज पासा ॥ दुजवर सुखानंद गुन पूरे गौड़ जात उत्तम कुल रूरे ॥ दया धर्म जुत दाता भूरे ॥ तिनके गुन किम बर्न कहूं रे॥ सीलवंत नैपुन वतिधारो॥ सव गुन साकुन कला तिहारी ॥ सुखानंद सुख आनंद रूपा ॥ राजवैद्य यह नगर अनूपा ॥ दुजवर ढिग निधान दुज आया तव तिन साकुन रहस वताया सेा वन्य निधान कर भाषा ॥ जामे सकल मुनिन की साषा॥ दोहा ॥ सुखानंद गुर का कृपा पाय सुखानंद ग्यान ॥ कवि निधान पूरन कियो भाषा सगुन वषान ॥१॥ जो याको समुझे पढ़े वरनै भावी साय ॥ दुख दारिद