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________________ 274 APPENDIX II. रहत ए प्रफुलित वानी के ॥ ध्यान के कीए तै अति ग्यान होत मकरंद नाकवास ॥ लहै कछै जिनकी कहानी कै॥ कैसै और पानी के सरोज सर करै सीचै मानस मै सिव सीस सुर सर पानी के ॥ सिद्धि की मुगंध पाइ मारे मन मधुकर पाए री पकर पदु पंकज भवानी के ॥ १॥ नवाव वंस वरननं ॥ दोहा ॥ नवल फिदाई षांन कै नंदन मुसवी षांन ।। फरकसेर को दै फते भो इक आजम पांन ॥ २॥ वषत विलंद महावली आजम षांन अमीर ॥ दाता ज्ञाता सूरिमा सांची सुंदर धीर ॥ ३॥ देषि सूम साहिब सकल जस जगतै उठि आइ ॥ हिमत आजिम षांन के हिअ में रहो समाइ ॥ ४ ॥ कलप व्रक्ष सव सुरन ज्यो करि पायो असमान । त्यो पायो सव गुनन मिलि भूमैं आजम षांन ॥ आजम षांन नवाव को भावत सुकवि समाज ॥ तातै अति हो करि कृपा x x सुकवि निवाजि ॥ सकुंतला जनम वर्ननं ॥ आजम षांन निवाज की दोनों इहि फुरमाइ ॥ सकुंतला नाटक हमै भाषा देउ वनाइ ॥ ६॥ जाते भई सकुंतला पहिलै वरनत ताहि ॥ पोछै और कथा कहों आदि अंत निर्वाहि ॥ ७ ॥ End.--दोहा ॥ सकुंतला अरु सुन सहित मुष को लिए समाज ॥ करो जाइ अव जाइ के महाराज घर राज ॥ ४८० ॥ चौपाई॥ इंद्रहु यहै कहाय पठायो । मैं तुमको यहि हेत वुलायो ॥ काजु हुता सा भया हमारी तुम अब अपने घरहि सिधारी ॥ ४८१ ॥ यो सुनि वैठि विमान मे मुनि को करि परनाम ॥ सकुंतला सुत सहित नृप आयो अपने धाम ॥ ४८२॥ चौपाई ॥ यहि विधि भाग भाल मैं जाग्यो ॥ राजा गज करन तव लाग्यो । नृप के मुत सव रैयत राजी ॥ घर घर पुर मै नौबत बाजी ॥ ४८३ ॥ सकुंतला व भई पटरानो ॥ येतो यह हचुकी कहानी ॥ सुनि मुनि कंन वड़ा सुष पायो ॥ सकल तपोवन आनंद छायौ ॥ ४८४॥ यह जा कथा कहै सुनै फल महान संसार ॥ विरद कल्पतरु हर्म को रहै राजदरवार ॥ ४८५॥ इति निवाज तिवारी विरचितायां सुधातरंन्यां सकुंतला नाटक इंद्रलोक मिलाप वनेनो नां चतुर्थस्तरंगः ॥ समाप्त। सुभमस्तु॥ मिती फाल्गुन वदी त्रितीया ॥ संवतु ॥ १८३५ ॥ दोहा ॥ कन्यां कैौसिक की सुषद नाम सकुंतला जाहि ॥ कवि निवाज किय कथा यह लिष्यौ महीपति ताहि ॥ राम रामेति रामेति रमेरामे मनोरमे ॥ स Subject.-शकुन्तला नाटक श्री कथा हिन्दी पद्यों में। पृ. १-१०-मिलन वर्णन । पृ० १०-१८-विवाह, विस्मरण । पृ० १८-३०-विरह, विस्मृत कथा वर्णन । पृ० ३०-३७-मिलाप वर्णन ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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