________________
273
जलघर कोंदर वातोदर कफादर सफोदर वाइ सुल वांवटा पते रोग नासपत । निवु पाक संपुर्ण ॥
Subject . - चिकित्सा |
APPENDIX II.
No. 1:26(b). Chhatrasala Virudavali by Newāja. Substance-Country-made paper. Leaves ~~5. Size — 72 " x 32" inches. Lines per page-16. Extent-80 Ślōkas, Appearance—Old. Character—Nagari. Place of Deposit - Magana ji Upadhyāya, Tulasi Chautarā, Mathurā.
Beginning. - श्रीगणेशाय नमः ॥ अथ नेवाज कृत वि (रु) दावली लिप्यते ॥ जैकालिंदी कूल कनित कल्लोल विहारी ॥ जै वृजवनिता वृंद सहित वृंदावन चारी ॥ जै मुरली धुनि मिलित माहनी मंत्र जगावन ॥ जै सुंदरता सदन वदन दुति मदन लजावन || जदुवंस हंस कुल मानसर कंसवंस विध्वंसमय || जय कवि निवाज नंदलाल जय जय जय जय गोपाल जय ॥ १ ॥ गोपाल का अवलंव लै वर वंव दै घमसान की ॥ फेरी फतहै करि धरा मैं धाक निज किरवान की ॥ कुलि पुहुमि प्रभुता करन को लिपि लसति जाके भाल की (1) यह वरनिये विरदावली पंचम छता छिति पालकी ॥ २ ॥ छितिपाल चंपति नंद पूरन चंद सेो जगजगमगे ॥ करि दया दरसन है हगन में सुधा वरसन सो लगे || अति तिमिर जाकी जाति सा नहिं वचत साता दीप है | जगमगत जंबू दीप में बुंदेल वंश प्रदीप है ॥
1
End. - कृ । भरी दै दै नचत वैठि करताल बजावत ॥ पहिरि डहडहे हार हरषि हर डमरू बजावत ॥ गज मुकुट तन (य) के गूदि गौरि लागी हंसि गावन ॥ सव गन गन मन मगन लगे करताल वजावन ॥ कह कवि निवाज मजलसि बनी जयदुदुभि धुकार किय ॥ छत्रसाल नायक वली विजय दुलहिया व्याह लिय | इति श्री कवि निवाज कृत छत्रसाल नृपतेरियं विरुदावली समाप्ता शुभमस्तु ॥
Subject.– छत्रसाल की विरुदावली ।
No. 126(@). śakuntala Nātaka by Nēwāja. Substance —Country-made_paper. Leaves-37. Sizo - 8 " x 58". Lines per page-20. Extent— 750 Ślokas. Appearance —Old._Character—Nāgari. Date of Manusoript — Samvat 1835= A.D. 1878. Place of Deposit — Sri-mad Matangadhwaja Nārāyana Simha, Biswā (Aligarh).
Beginning.—श्री सीतारामाभ्यां नमः ॥ अथ सकुंतला नाटक लिष्यते ॥ कवित्त भवानी जू को ॥ राषत न सुरज ससी की परवाहि हियै ॥ निसि दिन