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________________ 271 जहां तेहु लघु ही वषान ॥ ६ ॥ संजोगी की यदि हू लघु ही होत प्रकास || सरद जुन्हैया मदद करत कन्हैया रास ॥ ॥ गुरु हू लघु की रोति सेा पढै जो लघु ही मान मात्रा जुत संजोग के आदि सवै गुर जान ॥ ८ ॥ APPENDIX II, End. छंद मनोहर के लछन || दोहा || आठ आठ अक्रूरन को जहा तीन विश्राम || सात वरन पुनि अंत में सेा मनहरन सुनाम ॥ ४७ ॥ उदाहरन || प्रिंगल प्रसिद्ध नागवानी सा समुद्र तुल्य ताको सुर नर मुनि पावै कौन पार है ॥ ताके एक देस कवि सुरनि जतन मथि लै के सुधा ग्रंथ किया जहा वोसधार है || जान चाही छंद गति प्रति श्रम होत नाहि ताके हेत सुलभ सु कह्यौं या विचार है ॥ बुध का विलास हरिनाम को प्रकास जामै नारायनदास किया ग्रंथ छंद सार है ॥ ५२ ॥ आठ वग्न जो अंत में तौ वतीसज हाई ॥ सात अंत इकतीसया कवित्त कहत कवि लाइ || द्वादस ग्रह चालीस एक छंद जु किए प्रकास ॥ चित्रकूट मंह ग्रंथ यह faar नारायनदास ॥ ४९ ॥ इति श्री छंदसार ग्रंथ संपूरन मममस्तु ॥ मन देवता छत है श्री फल सव सुष देइ || फरनी देवता नगन की फल रिभि कविन कहेड ॥ १ ॥ यगन देवता जल वह सुफल मनारथ जानि मगन देवता ससि है स विन्तर फल मानि ॥ २ ॥ अग्नि देवता रगन को दुःख मृत्युफल तासु ॥ जगन देवता भानु है रुजदाता फल जासु ॥ ३ ॥ सगन देवता पवन है भ्रम फन देत अपार ॥ तन देवता व्योम है फल सव करहि विकार ॥ ४ ॥ श्रीसीतारामाभ्यां नमः श्री रामः ॥ Subjeot.—छंद निर्माण के साधारण नियम । No. 124. Sudamā jī Lila by Narottama. SubstanceCountry-made paper. Leaves-14. Size-5" x 4". Lines per page - 11. Extont—120Ślokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Chandra Sēna Pujārī, Gaigâjī kā Mandira, Khurja (Bulandaśahar). Beginning. - श्रीगणेशाय नमः श्री सुदामाजी लीला लषतुः थी गणपत कृपा निध्यांन वीद्या वुध विवेक जीत देह माह वरदान पेम सहत हर गुण कहुः ॥ हर चरित वाह भाय सेस धूनेस न कह सकै सुया पैम चीत लाय कुहु सुदाम की कथा । विप्र सुदामां वसत है सदा आपणे गांव वीष्या कर भोजन करै दीये जपै हर नाव: जाकी धरन पतीव्रता चलै वेद की रीतः अत सुनज सुव अतः पत सेवा सुपात (प्रीत) (1) कही सुदामा एक दीनः हर है हमरे मंत्र (मित्र ।) करत रहे उपदे (स) नीत मैसी परम वीचत्र ( 1 ) माहादांन जाकै हितुः हर है जद कुल चंद (1) सा दलद्र सताय को सैहज राजु उठ दंद (1) कही सुदामा वाम सुं ओर वथा सव भोग (1) सत भजन भगवान को सैहत धरम जप जोग: लोचन कवल दुष
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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