SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 269 लोक विषै जे लाय ॥ २१ ॥ हे अर्जुन स्वर्ग सुष को भोग कर जब पुन्य छीन होय फेर मृत्यु वैसेा जन्म पाय के फेर वेदत्रयी सां यज्ञादिक कर्म करके कामअनुसर ते फेर आवागमन न पावै है ॥ २१ ॥ ना APPENDIX II. End. - अष्टादश अध्यायों का अन्त ॥ (१) इति श्री भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्री कृष्णार्जुन संवाद दोहा सहित भाषा टीकायां अर्जुन विषादा नाम प्रथमाध्यायः (२) सांख्ययोगो नाम द्वितीयाध्यायः । अथ दूसरे अध्याय महात्म कथ्यते ॥ (३) इति श्री भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्री कृष्णार्जुन संवादे दोहा सहित योगोनाम तृतीयाध्यायः (४) सन्यास योगो नाम चतुर्थोध्यायः x सव ऊपर का ऐसाही जाना । (५) सन्यास योगो नाम पंचमाध्यायः (६) आत्म संयम योगा नाम षष्टयेाध्यायः (७) ज्ञानविज्ञानं येागो नाम सप्तमाध्यायः (2) ईश्वर संवादे गीता माहात्म्ये अष्टमाध्यायः (९) राजविद्या राजगुण योग। नाम नवमाध्यायः (१०) विभूति योग नाम दशमाघ्यायः (११) विश्वरूप दर्शना नाम एकादशीध्यायः (१२) भक्ति योगो नाम द्वादशाध्यायः (१३) क्षेत्र क्षेज्ञ योगो नाम त्रयोदशोध्यायः (१४) परमानंद प्रवोधे गुणत्रयविभागयोगोनाम चतुर्दशोध्यायः (१५) पुरुषोत्तम योगा नाम पंचदशोध्यायः (१६) देवासर संपत्ति योगो नाम षोडशोध्यायः (१७) श्रद्धात्रय विवेक योगो नाम सप्तदशाध्यायः (२८) दाहा सहित टोका यों मोक्ष सन्यास योगो नामाष्टदशोध्यायः इति श्री पद्म पुराणे उत्तर षंडे गोता माहात्म्ये सती ईश्वर संवादे अष्टादशोध्ययः ॥ १८ ॥ मितो संवत् १८६४ माघे मासे शुभ तिथि दशम्यां सवारे संपूर्णम् ॥ शुभमलेष पाठ कथा | लिषते मिश्र x x x पथनार्थ ठाकुर दास शुभमसम ॥ Subject. — अठारह अध्यायों का विषय इस ग्रंथ हो में ऊपर लिखे अनुसार लिखा है ॥ No. 123 (a ). Chhanda Sāra by Nārāyana Dāsa Sub.stance—Country-made paper. Leaves — 11. Size - 112 " x 4”. Lines per page-8. Extent-236 Ślōkas. Appearance-Very old. Character Nāgari. Date of Composition-Samvat 1829= A.D. 1772. Date of Manuscript – Samvat 1925= A.D. 1868. Place of Deposit -- Pandita Chandra Sēna Pujārī, Khurja. Beginning.—श्रीगणेशाय नमः ॥ दोहा ॥ श्री गुरु हरिपद कमल कां वंदि मनोग्य प्रकास ॥ छंदसार यह ग्रंथ सुभ किय नारायन दास ॥ १ ॥ प्रथम कह गुरु लघु वन लच्छन पुनि गन रीति ॥ छंदन के लच्छन कहे उदाहरन हरि प्रीति ॥ पिंगल छंद अनेक हैं ( कटे ) भुजंगम ईश ॥ तिन तें लिये निकारि मैं द्वाद (श) प्रद 18
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy