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________________ 265 से ही देखना । राधिका का कृष्ण प्रेम में विह्वल होना । सखियों को राधा कृष्ण मिलाप की युक्ति । उनका राधिका को घर ले जाना । सांप के डंसने का बहाना करना । यशुमति का सखियों को श्री कृष्ण को बुलाने के लिये गोकुल भेजना । श्री कृष्ण का आना - राधा कृष्ण मिलाप । प्रेम रूपी सांप का विष दूर होना प्रेम की लगन । श्यामा श्याम की सगाई ॥ APPENDIX II. No. 120. Pingala Prakasa by Nanda Kisöra. Substance -Country-made paper. Leaves-48. Size-9" × 61′′. Lines per page-16. Extent— 765 Ślokas. Incompleto. Appearance—Old. Written in Prose and Verse both. Character— Nagarī._Date of Manuscript - Samvat 1858= A. D. 1801. Place of Deposit-Saraswati Bhaṇḍāra, Lakshmana Kōṭa, Ayodhya. Beginning.—खण्डित - यह ग गुरु ल लघु युत जोइ छंद ठें अति ललित गति यातें पिंगल होइ ८ छंद लक्षां० मत्ता मत्ता वर्ष यो वर्ण मिले जंह मान ताकी छंद प्रसिद्ध कर भाषत कवि सज्ञान ९ गुरु विचार आदि होइ संयुक्त की अंत चरण जो वर्ण बिंदु विसर्ग द्विवर्णे जुन गुरु भापत श्रुति क १० गुरु लघु स्वरूप वंक रेष गुरु जानिया सुद्ध रेप लघु जान प्रस्तार कम सा जहे भाषत कवि सज्ञान ११ प्रस्तार लक्षण गीत कवित्त अनेक के छंद कढ़े पद मान साइ दे प्रस्तार कम कहत सकल सज्ञान १२ गण देवता फल कथनं कवित्त म य र स त 555 155 315 115 351 131 S11 555 111 भ भू जल अग्नि वायु व्याम सू० इदु न ( (?) मगन हे तीन गुरु भूमि नाक संपदा सु 135 513 ॥ देत यगन हे आदि लघु जल वृद्धि मानी है (।) रगन है मध्य लघु वन्हि मृत्यु करे सदा ssu सगन है अंतगुरु वायु देस हानी है ( 1 ) तगन है अंत लघु व्याम फलसून्य जगन है 153 मध्य गुरु रवि रोग हानि है । End. - छंद अनेक वपानीये मुप उच्चारण होइ पिंगल मति अनुमान करि वृत्त कहत कवि लोह १७० है यह सेस सुरेस मिल लिपत कहत लबि जान इनको मति अति थकित रह कवि कह करे वषान १७१ इति श्री पिंगल प्रकासे शेषनाग सुविलासे नंदकिसेार कृते मात्राकृत प्रकाशकरणं नाम प्रथमोल्लासः १ सम्वत् १८५८ २. शके १७२३ आश्विन मासे शुक्ल पक्षे शनि वासरे सीतारामेण लिषित पुस्तक पिंगल की मात्रावृत्त दोहा वसु वान वसु हंस मिळ प्राश्वन शुक्ल विचार तिथि पंचमी शुभ जोग प्रति बार सनिश्वर वार १ ८ Subject.—पिङ्गल ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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