________________
264
APPENDIX II.
Subject.-रास। Note.-कवि ने इसे अपने एक मित्र के कहने से लिखा था।
No. 119(c). śyāma-Sagāi by Nanda Dāsa. Substance Country-made papor. Leaves-9. Size-6" x 5%. Lines por page-8. Extent-63 Slokas. Appearance-Old. Char. acter-Nagari. Date of Manuscript-Samvat 1900=A.D. 1843. Place of Doposit-Śri Dovaki Nandanācbārya Pustakālaya, Kāmabana, Bharatapur. ____Beginning.-श्रीनाथ जी ॥ अथ शाम सगाई लिख्यते ॥ एक दिन राधे कुंवरि नंदगृह खेलन पाई ॥ चंचल और विचित्र देखि जसामति मन भाई ॥ नंद महरि मनमें चह्यो देखि रूप को रासि ॥ यह कन्या मेरे शाम • मेरी गोविंद पूजवे पास ॥ के जोरी साहनी॥१॥ जमुमति महा प्रवीन एक द्विज नारि बुलाई ॥ लोनी निकट बुलाय मरम को बात सुनाई ॥ जाय कहो वखभान सुं ओर बहोत करा मनुहार ॥ यह कन्यां मेरे शाम कू में मांगू गोद पसारि ॥ के जारी अधिक हे ॥ वजनारी उठि चली पारी वरसाने आई ॥ जहां राधे की माई बेठी तहां बात चलाई ॥ जसुमति रानी नंद की में पठई तुम पास ॥ बहात भांति बंदन किये करी बीनती तास ॥ कृपा करि दीजिये ॥ ३॥ तेरो राधे कुवरि शाम मेरो अति नीको ॥ तुम कृपा करि के करो लाल हमरे को टीको ॥ सव भाति मन सुख होइगो हम तुम्ह वाढ़े प्रीत ॥ ओर न कछु मन में चहों यही जगत की रीति ॥४॥ परस्पर कीजिये ॥ ४॥ ____End.-सुनत वचन ततकाल लड़ती नैन उघाड़े ॥ निरखत ही घनशाम वदन के केस सारे ॥ तब अपने ढिग निरखि के फिर निरखो ढिग जाई ॥ अचरा डारयो वदन में मन दोनो मुसि म्याइ ॥ सकुच मन में बढ़ी ॥ २६ ॥ देखि दुहुँन को रोति सखी सर मृदु मुसिस्यानी ॥ जोरी यह चिरजीवो विधाता भली बनाई ॥ सखी कहें जुरि विप्र से पोहोपन की बनमाल ॥ राधे के कर छाय के गहि मेली वनमाल ॥ नंदलाल ॥ यात अत्री वनी ॥ २७ ॥ सुनत सगाई शाम की ग्वाल सब मंग फूले ॥ नाचत कूदत चले प्रेम रस मै चूले ॥ जमुमति रानी ग्रह सज्यो ॥ चंदन चाक पुराय ॥ बढ़त वधाई नंद के नंददास वलि जाई ॥ सगाई शामको ॥ २८ ॥ इति शाम सगाई संपूर्ण ॥ मिति जेष्ठ कृष्ण ९ चंदे ॥ संवत १९००
Subject.-श्याम की सगाई। राधिका का नंदगृह में पाना। यशोदा का सगाई का संदेशा लेकर एक द्विजनारी को बरसाने भेजना । राधिका की माका संदेशा अस्वीकार करना ॥ यशोदा का परिताप ॥ श्री कृष्ण का सम. झाना पीर मनाहर वेश में बरसाने जाना। राधिका पार कृष्ण का परस्पर दुर