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________________ APPENDIX II. 263 Note.-पुस्तक नप्टप्राय हो गई है। नाम मंजरो और अनेकार्थ नाम की और दो पुस्तक भी इसी कवि के नाम की मिली हैं। ये भी बुरी अवस्था में हैं। No. 119(1). Pañchādhyāyi by Nanda Dāsa. Substanco --Country-made paper. Loaves--21. Size--7" x6". Lines per page--16. Extent--378 Slokas. Appearance-- Old. Character--Nagari. Date of Manuscript--Samvat 1794==A.D. 1737. Place of Deposit--Pandita Rāma Gopala ji Vaidya, Jahangirabad, District Bulandasahar. Beginuing.-श्रीराधाकसनाय नमः॥ अथ पंचाध्याई लीषते ॥ वंदन करूं कपानिधान श्री सुक सुभकारी ॥ सुध जातिमय रुप सदा स्वंदर अविकारी॥ श्री हरि लीला रस मत मुदित नित विचरत जग में ॥ अदभुत गति कहुं न पटक हाय निकसे नंग मैं ॥१॥ नीलोतपल दल स्याम अंग नव जोवन भ्राजै ॥ कुटिल अलक मुष कंवल मनौ अलि अलि विराजै ॥ ललित विसाल मुभाल दिपत जनुं निकर निसांकर ॥ श्री क्रसन भगति प्रतिविंव तिमिर की कोटि दिवाकर ॥२॥ कपारंग रस अन नैन राज(त) रतनारे ॥ श्री कसन रसासवश्यांन अलस कछु धूम धुमारे ॥ श्रवन कसन रस भवन गंड मंडल भल दरसै॥ प्रेमानंद मिलि मुमंद मुसनि मधु वरसै॥३॥ वनं ति नासा अधर व्यंव सवकी छवि छोंनी ॥ तिन बिचि अदभुत भांति लसित कछुईक मसि भीनों ॥ कंतु कंठ की रेष देषि हरि धरम प्रकासे ॥ काम क्रोध मदलोभ मोह जांहि निरषत नासै॥४॥ उर वर पर प्रति छवि को भीर कछु वरनी न जाई ॥ जाहां भींतरि जगमगात निरंतर कुवर कन्हाई ॥ स्वंदर उदर उदार रोमावलि राजत भारी॥ हिदो सरोज उर रस भरि चली मनु उमंगि पनारी ॥५॥ ___End.-श्रवन कीरतन सार सार सुमिरन को है फुनिं ॥ ग्यान सार हरि ध्यांन सार सुरति सार गुंथि गुंनिं । अघर हरनी मन हरनी मुंदर प्रेम वितरनी ॥ नंददास कै कंठि वसौ हु मंगल करनों ॥ १०४॥ पंचाध्याई पुरन भई प्रीति पृछी सुक मुनि कही ॥ क्रसन केलि वहु रास विलासा || जमुना तट बंसी बट पासा ॥ जो काउ कहैं सुनै निति याकों ॥ श्री हरि प्रेम भगति दे ताकुं ॥ १०५ ॥ इति श्री पंचाध्याई संपुरन समापता ॥ १॥ लीषतं ब्राहमण नरायण दास मारोठ नगर मधे॥.पठनारथ्य x x x x x x x x x x x x वचि ताकुं श्री सीता रामजी सहाय ॥ मोतो कातिक वदि ४ वार दीत वासरे ॥ सवत १७१४ का ॥दोहा॥ पोथी बांचे प्रीति सुं॥ उपजै जीव पानंद ॥ पावै फल मुकति पद ॥ मिठै सरब दुष दुद ॥१॥
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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