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APPENDIX II.
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नाल लगे छूटे जु प्रथांने विधि २ आने में नहि जांने सांठि तली वधैा सव नारी मन मतवारी गा गारी करें रली १६ छूटे जु छुहारे किसिमिसि न्यारे दाख सुधारे मिष्ट खरे वंधा कर गुजरी कंकन उजरी कला मुदरी भुजावरे छुट्टे सब मेवा सब सुख देवा नाना मेवा सुरक हरी बंधा कुच अंगी (गि) या पिडरी जधोया (जंघिया ) मां मगोया (मंगिया) गुलक भरी १७ छुट्टे हय दाथी स वराती दमरै साथी हाल घरी वंधा तुम गेहं नखसिख देहं पिय सै। नेहं हम जकरी छूटे सत्र प्यारे मित्र हमारे दुलहावारे पक्ष सत्रे वंधा तुव पंथा सव नख मंधा जुवतो कंथा उभे अ १८ व्रजदेश सुहेरं पुरी कुमरें वास हमेरं सदां रहें द्विज मोहनलालं [ पत्तलि ख्यालं ] अद्भुत हालं सुना कहा (कहें) यह संवत जाना वारह (ठारह ) साना सेता (सात) लानौ साउन (सनउ) सुदी साज (व) न मनं रंगी छंद त्रिभंगी पत्तलि चंगो चालि जुदी [ १९ ] दोहा शीश भाल श्रुति नाशिका श्रीवा उर कटि वाहु मूल पांनि प्र (अं) गुरी चरन भूषण रचि अवगाहु २० कन्या नहि गोरी सही वाला तरुनी नारि प्रौढा वृद्धाहू अत्रें वांधी सवें सुधारि २१ पद्मिनि चित्रनि हस्तिनी संषिनि सुकी ( कि) या जांनि परकीया सांमान्य वसु वांधी सर्वे निदान २२ भोजन प्रभु परसाद हे काहू सैौन वंधाय प्रज्ञा सवें वरात की जेवा भोग लगाय २३ इति पत्तलि समाप्तम् ।
Subject. -- वरात के भोजन की पत्तलि की विविध भोजन सामग्री का वर्णन ।
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No. 114. Brajôndra Vinoda by Moti Rāmna. SubstanceCountry-made paper. Leaves-56. Size-10" x Lines per page-18. Extent-1,000 Ślōkas. AppearanceOld. Character—Nāgari. Dato of Composition-Samvat 1885 = A. 1. 1828. Place of Deposit - The Public Library, Bharatapur State.
Beginning. - श्री गणेशाय नमः ॥ अथ वजेंद्र विनाद लिष्यते ॥ दोहा ॥ श्री व्रजेंद्र को वंम सव वरन्यों तजि उर पेद || अव वरना शृंगार रस सकल नायका भेद ॥ १ ॥ छप्पय छंद ॥ सजल जलद तन वरन लसत प्रानंद कंद वर ॥ अति अमंद दुति बंद हरण दुष दंद अमर नर ॥ कुमुमवान गहि कर संधान वस करिय सकल जग ॥ जल थल चर अरु अचर वलावन जेते बगमृग ॥ नागलोक सुरलोक लगि छाया जस चौदह भुवन ॥ रस सरस धाम अभिराम प्रति जै जै जै श्री रति रमन ॥ २ ॥ रस ग्रंथनि को पंथ नहि रचना रची बनाय || नवरस मैं प्रति ही सरस रसकनि क सुषदाय ॥ ३ ॥ अथ रस निरूपन ॥ दोहा ॥ दारुख दुःख जो होय मैं सुनत निवारण होय ॥ कारण आनद प्रेमनिधि रेस कहियत है