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________________ APPENDIX II. 255 ___No. 112. Keli Kalola by Mohana. Substance-Bali 'paper. Leaves-5. Size-10!" x 81". Lines per page-17. Extent-163 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Manuscript-Samvat 1948 - A. D. 1891. Place of Doposit-Pandita Rādhi Chandra ji Vaidya Bare Chaubē, Mathurā. ____ Beginning.-अथ श्री केन कलोल लिख्यते ॥ चौपाई ।। नमो प्रेम परमातम प्यारे। ससि ज्यों सकल जगत उज्यारे ॥ वढे घटे नहिं कला तिहारो॥ राजै रैन द्योस उजयारी ॥ नहीं के तरथ भून पराहीं ॥ वुध वादर ऊपर नहीं जांहीं ॥ निहकलंक निरमल सुखदाई ॥ सदां सुधिरु अथ वैन उगाई । घट घट में प्रतिविंव कलाले ॥ जो जल डुले तऊ नहीं डाले ॥ पारस रूप सदां चहु पासा। सुरत चकास को मोतिहि वासा ॥ दही सखन वन भर हरे॥ कुमुद चकोर नेन बहु करे ॥ दाहा ॥ नहीं जारन संपुट पलक ॥ चाहत है निस भार ॥ कुमुद नेन सब जगत के नेहो नेन चकार ॥ चौपः॥ उपजो जिय प्रेम को बाता ॥ जव मनसा मिल वाध्यो गाता । कहिवे को प्रत मत अनुरानी ॥ कैसे कहीं कलोल कहानी ॥ जोर कहां तो कहनु ना आवे॥ चुप कर रही रहनु नहो भावे॥ यह विचार साचतु दिन जाई ॥ जो भुले तो देहु भुलाई ॥ विसरे नही विसारों जेती॥ चाह पान अकुलावे तेते ॥ प्रेम वात जो जोभ वखानें ॥ ताकी कहा जगत नही मानें ॥ भावे होइ सुनेहहि नाहों ॥ असी वनीमां लोग कहाहो ॥ दाहा ॥ यो भाखत है जगत रसु॥ जीभ कह्यो नही जाइ ॥ जिन माहन जान्या नहीं तिनयो कह्यो वनाइ॥ End.-चौपै ॥ वात गात है मन धन माहीं ॥ रसना कुंजनि केल कराहों। रस के भाए करहिं कलोला ॥ बालहिं सहज रसमस वाला ॥ वालत दोऊ अंग दिनरावही ॥ यनवाले इक तनहिं समावहि ॥ इक द्वै मिलहि सदा संग रहई ॥ उपजन वसन रंग तन धरई ॥ भांत भांत को उपजी वाता॥ तेऊ भूषण पहिरहि गाता॥ जिहिं लाइन यह रूप निहारा ॥ तेऊ समुझे नित विहारा॥दोहा॥ दरसन बात सरूप को जे चख पाये चाह ॥ तेई लाइन लाइना और हयेरी माह ॥ श्रवनानं नेननि कि वृथा का समुझी जात जो मेाहन न हुलास से रसना कहतो बात ॥ ५३॥ इति श्री केल कलोल मोहनकृत संपूर्णः श्री श्री श्री श्री श्री दः चौवे राधाचंद सामन वदी सनीचर सं १९४८ Subject. (१) प्रेमदेव की वन्दना-(२) भूमिका-प्रेम के लक्षण और वर्णन(३) कृष्ण और राधा का प्रेम वर्षन और (8) राधा और करण का एकत्व निरूपण ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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