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APPENDIX II.
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___No. 110. Bahula Katha by Mani Sinha Kavi. Substance -Country-made paper. Leaves-9. Sizo-5" x 21". Lines per page-10. Extent-200 Slokas. Incomplete. Appearance-Very old. Character-Nagari. Date of Composition-Samvat 1805 = A. D. 1748. Date of ManuscriptSamvat 1847 = A. D. 1790. Place of Deposit-Pandita Rāmēswara Datta Śarmā, Assistant Teacher, High School, Rāya Baraili.
Beginning.-श्री गणेसायनमः ॥ दोहा ॥ गणनायक सारद सुमिरि हरि हईस्वमस्यमा ( हय स्वामी स्याम ?) किन्ह च है। वहुला कथा करि सब सुरन्ह प्रनाम ॥ १ ॥ संवत दस ले पाठ से पांच अधिक मधु मास असित सप्तमी सिंह कवि कीन्हो कथा प्रकास ॥ २॥ सरिता सब सागर सहित तीर्थ समेत प्रयाग । जहां तहां हरिहरकथा मुनहि सहित अनुराग ॥ ३॥ चौपाई ॥ वैसंपायण ऋषिवर रहहों। जन्मैजय भूपति सन कहहीं। सरसज्या भीषम जव आये । भूप युधिष्ठिर पद सिर नाये ॥ कहहु पितामह पूछत राजा वहुला कथा कहहु मम काजा ॥ राजधर्म सुणि भोपम कहती। श्री वन सुनत नृपति तव रहहीं। व्याघ्र काम त धरि जव पावा तासु घेणु संवाद सहावा ॥ यमुना तट कानन वर रहही । मथुरा पुरी वसत तहां रहही ॥ पुन्यवान सुंदर नरनारी। वरण चारि वस आश्रम चारा ॥ दोहा॥ धर्म धान्य धणु जुक्त सव नित नव उत्सव जाग नितत गावत रहत xxx ___End.-भीषन यह इतिहास सुनावा। भूप जुधिष्ठिर सुणि पात जावा । बार हि वार पितामह बंदउ । मिटे नाथ मम पातष भइऊ । पावन पर्म कहेउ व्रत पहू ॥ जासु कि सुष विग्णसे दह ॥ मानि सिंह कवि द्विज अभिनाषा । दे(ब) मंसकृत कीन्हेउ भाषा ॥ दाहा॥ कान्ह वंस कवि साकै नगर पावरे पास । छत्री िितपति भूपकुल आदिनाथ को दास ॥ १८॥ पोथी ग्यान सन्द्र है जो गावै गुण ग्रंथ (गाथ)। ताकी महिमा वड़ी है सदा राम को साथ। इति श्री भविष्योत्तर पुराणे का दुलायाघ्र संवादे । इति कंस (कृष्ण) कथा संपूर्ण सुभमस्तु । संवत १८४७ आषाड़ वदी एकादसी राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ॥
Subject.-भविष्योत्तर पुगणान्तर्गत कांदुला व्याघ्र संवादे वहुला कथा का संक्षिप्त वर्णन पद्यो में । बीच के कई पत्र नष्ट हो गये हैं। प्रतएव प्रति के खण्डित हो जाने के कारण कथा का क्रम निश्चित नहीं किया जा सकता।
Note.-कवि मान सिंह द्विज उपनाम 'सिंह" ने अपना परिचय अंत में दिया है।
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