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APPENDIX II.
युद्ध और हनुमान का सिंधु पर जाना, मशक रूप धर कर लंका में हनुमान का प्रवेश करना, सात दिनों के बाद सीता को ढूंढ़ते हुए अशोक वन में पहुंच जाना, सीता-हनुमान-संवाद, सीता जी का हनुमान को अमृत फल देना हनुमान का बन ध्वंस करना, रावण का इंद्रजीत को हनुमान के निकट भेजना, अजय कुमार सहित सैन्य वध, हनुमान का पकड़ा जाना, हनूमान रावण-संवाद, लंकादहन, सिया जो से विदा हो हनुमान का रामजी के पास लौट आना, रामजो का सागर तट पर आना, महिरावण का रामजो को पाताल ले जाना, हनुमान का रामजी को पाताल से लाना और सागरसेतु बंधवाना, देवताओं का पुल बांधना, रावण को मंदोदरी का समझाना, तथा अंगद का रावण के पास वीड़ा लेकर पहुंचना ।
पृ.४०-५० अंगद-रावण-संवाद, विभोषण और रावण, विभीषण का श्री रामचन्द्र के शरणगत होना, निशाचर इंद्रजीत और लक्ष्मण का युद्ध, शक्तिवाण, सुषेन वैद्य और संजीवनी बूटी के लिये हनुमान का धौलागिरि पर जाना, कालनेमि वध, हनुमान का अवध पहुंचना, लक्ष्मण का मूर्छा से उठना, मेघनाद वध, कुम्भ करण और राम का युद्ध, कुम्भकरण वध, नृप रामरावणं का युद्ध, रावण का माया युद करना, रावण का अग्नि और कंठगत अमृत होना, मंदोदरी का मूमल लेकर रामरथ के प्रति दौड़ना, रामजो का एक पत्नीव्रत परिचय, मंदोदरी का रावण का मूसन से मारना, रावणमृत्यु, सोता जो की अग्नि परीक्षा, विभीषण का राज्याभिषेक ।
पृ० ५०-६० रामजो का अयोध्या लौटना, भरतमिलाप, राम का माताओं तथा गुरुजन आदि से मिलना, सीताजी का गर्भवती होना, घेवो का कलंक लगाना, सीताजी की वनवास की इच्छा, सोता वनवास । सीताजी का वाल्मीकि मुनि के आश्रम में निवास करना । लव हरि का जन्म ग्रहण करना, कुश की उत्पत्ति, लवकुश को रामायण की शिक्षा, रामजी का यज्ञ करना, यज्ञ के लिये सीता की मूर्ति सुवर्ण को, यज्ञ अश्व का वाल्मीकि के पाश्रम में माना, उसका लवकुश द्वारा बांधा जाना, लवकुश का रामसैन्य से युद्ध करना, रामलक्ष्मण-लवकुश का युद, रामजी का रणभूमि में जाना, लवकुश का श्री रामचंद्र जी को पहचानना और पितृचरणां पर गिर पड़ना, रामजी का जानकी जो के पास ऋषि प्राश्रम पर पहुंचना, सोता जी का पृथ्वी प्रवेश करना, रामजी को लवकुश का रामायण सुनाना, अयोध्या लौट कर रामचंद्र का यज्ञ पूरा करना, विप्र और राम का एकांत में वार्तालाप करना, दुर्वासा का पाना, लक्ष्मण जी का स्वर्गवास करना, रामजी का सारी अयोध्या के संग निज धाम को पयान करमा । केवल सानार और बनियां नहीं गये ।