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APPENDIX II
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अवतीर्ण होना, नामकरण, यज्ञोपवीत प्रादि संस्कारों का होना तथा विश्वा. मित्र का राम लक्ष्मण के लिये पाना ।
पृ०७-१३ रामलक्ष्मण का गुरुकुलवास, ताड़कावध, ऋषि का यज्ञारम्भ, सुवाहुबध, मारीचियुद्ध, मिथिलायात्रा, जनकनंदिनी का स्वयंवर, अहिल्योद्वार, जनकपुर आगमन, धनुषयज्ञलीला, सोता जो का रामजी के गले में जयमाल पहिराना, विवाह वर्णन, अयोध्या के लिये बरात का लोटना, परशुराम का अयोध्यामार्ग में पहुंचना, परशुराम का राम जी को अपना धनुष देना, रामजी का धनुष चढ़ाना और प्राकाशमार्ग को छोड़ देना तथा परशुराम का तप करने के लिये वन गमन करना।
पृ०१३-१७ बरात का अयोध्या लौट आना, कैकेयी का वर, राम को राज्य तिलक देने की तैयारो, देवताओं का कपट, मंथरा का कैकेयी को बहकाना, कैकेयी का काप, कैकेयी का वर मांगना, सीताराम का वनवास, बन को जाना, राम जी का पादुका देकर सीता राम लक्ष्मण का श्रृंगी ऋषि के आश्रम पर पहुंचना तथा दशरथ का प्राण त्याग करना।
पृ० १८-२४ रामजी का गंगा पार होना, केवट को पूर्णपद देना, भरद्वाज आश्रम पर पहुंचना, चित्रकूट जाना, जयन्त कथा, अत्रि पाश्रम पर पहुंचना (चित्रकूट निवास), विराध वध, कवंध गति, शरभंग आश्रम की जाना, सुतीक्ष्ण को भक्ति, अगस्त्य आश्रम, पंचवटी गमन, सूर्पनखा लीला, खरदूषण त्रिशिरा वध, सूर्पनखा का लंका रावण के पास जाना, रावण का कपट वेश, मारीच बध, सीताहरण, श्रीराम का सीता हरण के लिये विलाप करना प्रार वन वन ढूंढ़ना, जटायु मोक्ष, शिवरी के बेर खाना, और शिवरी का गुरु गति को प्राप्त होना।
पृ० २४-३९ लक्ष्मण का फलादि के लिये शिव की वारी में पहुंचना, हनुमान का रखवारी करना, लक्ष्मण का युद्ध करना, शिव जी का धनुष चढ़ाना, पार्वती का शिव को समझाना, शिव जी का रामलक्ष्मण की पूजा करना, शिवजी का हनुमान को रामजी की सेवा में देना. हनुमान का सीताशोध के लिये जाना, हनुमान का किष्किंधा और सुग्रीव के आश्रम को जाना, हनुमान का सुग्रीव से यह कहना कि हमारे ईश राम लक्ष्मण पाये हुए हैं, हनुमान का राम जी को सुयोव से मिलाना, वालिबध, वालि के पाश्रम में गंगा का पाना, सुग्रीव का राज्याभिषेक, सीता की खोज में पागे बढ़ना, केशरी और नलनील का मिलना, जामवन्त से भेंट, संपाति जटायू और वानर सैन्य, हनुमान का मैनाक पर्वत लांघना, सुरसा