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APPENDIX II.
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End.-दोहा श्री गुरु अमृत वचन सुनि भयो शिष्य सुख चैन । हृदय ग्रंथि गइ छुटि कै बोल्यो गदगद वैन । महाराज तुव कृपा ते विगत भयो संदेह निज पन भयो उदय जाने वै देह अदेह । यहि कही पुनि तुस्न भये अटके उपराम विचार । श्री गुरु तुस्न भये शिष्य संदेह निवार । कहि मलूक को थाह लहै हरि गुण जलधि अगाध । कहा यथामत ज्ञान वोध गुरु गोबिंद प्रसाद । इति श्री ज्ञान बोध । विराट स्वरूप वर्णनं पंचम विधान संपूरणम् पूरा मलूक जी कृत । (एक पग्चे से ) गुप्त वैकुंठ कड़ा खुर्द मक्का है हुकुम है कंधैया जी का फेर कै वसा. वेगा । भृला था चंद राज साहव ने याद किया भेजिया कितावे तद गोपिया वालावेगा। पुस किया मध देश अजव हवा प्राइ गइ वाजेंगे शादियाने तद
आपि आप पावैगा । कहत मलूक मोहि अजगैव की आवाज आई अपाने दीवाने को दीदार भी देखावैगा।
Subject-पृ० १-४ ज्ञान, भक्ति और वैराग्य । पृ० ४–१२ भगवत् भक्तवत्सलता तथा हरिभक्तों को महिमा वर्णन ।
पृ० १३-१५ हरिनाम महिमा वणेन, गुरु महिमा, भक्ति ज्ञान और वैराग्य एकता वर्णन, ज्ञान सप्त भूमिका, भूमिका स्वरूप, तथा दशधा भक्ति वर्णन ।
पृ० १५-२५ वैराग्य, अष्टांग योग, योग स्वरूप, ज्ञान वैराग्य भक्ति भूमिका अंग वर्णन, विविध वैराग्य तृष्णा, भक्तिविस्तार, ज्ञानविस्तार, परोक्ष अपरोक्ष वर्णन, ज्ञेय ज्ञान ज्ञाता वर्णन, अन्तःकरण अध्यास वर्णन तथा वध मुक्ति युक्ति वर्णन ।
पृ० २५-३२ वंदना, शुभ इच्छा भूमिका, हरिभक्तिरुचि वर्णन ।
पृ० ३२-६६ भन उत्पत्ति, प्रवृत्ति, निवृत्ति, मनवशोकरणयुक्ति त्रय रूप मोह प्रवृति वर्णन, कनक रूप माह वर्णन, मन विचार जीव विनय, शिष्य और गुरु संवाद, मन वाक्य, वैराग्य वचन, तथा ज्ञान भक्ति और वैराग्य एकता वर्णन ।
पृ० ६६-७२-७६ जीवविचार, जीववचन, मनवचन, भक्तवचन, जीवन वचन, आरतो तथा हरिभक्ति महिमा वर्णन पृ० ७६ तक।
पृ० ७६-७८ अज्ञानभूमिका, ज्ञानभूमिका, ज्ञान और अज्ञान दृग वर्णन, दृगपति वर्णन, चक दृग स्वरूप वर्णन, तथा ज्ञानाज्ञान युगल स्वरूप वर्णन ।
पृ० ७८-९१ काल महिमा वर्णन, आत्मज्ञान तथा प्रात्मस्वरूप वर्णन, जगत उत्पत्ति स्थिति लय वर्णन, तथा विराट स्वरूप वर्णन । ___109(6). Rama. Autāra Lila by Malika Dasa of Kada (Allahabad). Substance-Country-made paper. Leaves60. Size-6" x 28". Lines per page-8. Extent-300