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________________ 248 APPENDIX II. Beginning:-श्री ॥ वेदांत के कोरतन लेषे हैं। श्री ॥ श्री ॥ राग मारू ॥ श्री कस्न जय ॥ श्री॥ पेहेले आप पहचानों रे साधो ॥ पेहेले आप पहचानों ॥ विन आप चीने कान कहें ॥ में पार ब्रह्म को जानों ॥१॥ पीछे दूर हो घर आप का ॥ कोन ठोर ठेहेरानों ॥ जव लग घर पावत नहीं अपनों ॥ सा भटकंत फेरत भरमांनो ॥२॥ पांच तत्व मेल माहल रचा हे सेो अंतरोषस्य अटकानों ॥ याके आसपास अटकाव नहीं ॥ तुम जाग के संसे भानों ॥ ३ ॥ नींद उड़ाय जव चीनोगे आप को ॥ तव देखोगे माहोल घरचानों ॥ तव पापे घर पावोगे अपनो ॥ देपोगे अलष लषानों ॥४॥ वाले चाले पर कोई न पहेचानें ॥ परषंत नहीं परषाने ॥ महेमंत केहें माहे पार पोजागे ॥ तव जाए आपउ लषानों ॥५॥ __End.-चाहनवाले दूष के ॥ दूनीयां में ढूंढ़ (रह) देष ॥ ब्रह्माड चार है सुष को ॥ दृष दोस्त हुआ कोई एक ॥ ३२॥ जाको स्वादे लगे कळू दुष का ॥ मा सुष कवू न चाहे ॥ वाको सा दुष फेर फेर ॥ हेरदे चस्ही चस्हो पाए ॥ ३३॥ मेहेमंत केहे एन दुषको ॥ मोल न काहू हाय ॥ लाष वेर सिर दीजिए ॥ तो भी सर भरना आवे काए ॥ ३४ ॥ ३६॥ २५॥ Subject.-वेदान्त के कीर्तन । ज्ञानोपदेश । विविध पदों के संग्रह । 109(a). Jñāna-Būdha by Malūka Dāsa of Kadā (Allāh. ābād). Substance-Country-made paper. Loaves--92. Size-6" x 3". Lines per page-24. Extent-2,200 Slokas. Appearance-old. Character-Kaithi (Nagari). Place of Deposit-Bābā Mahādēva Dāsa, Katla, P. O., District Allāhābād. Beginning:-श्री सत्गुरु सहाय । पाथो ग्यानवाघ कृत वावा जी बाबा मलूकदास जीव । दोहा । हरि भगतन्ह के काज हित जुग जुग करी सहाय सेा सभ सेस न कहि सकहि कहीं कछुक अब गाय । रमैनी। भगतवछल संभन सुखदाई जन के दुःख नेवारहु भाई । जन के दुःख पापु दुःख पावै। वांधा हाइ तो जाय छुड़ावै । वंदी छोड़ कृष्ण के वाना । सेा तो तोनि लोक में जाना । ज्यों बालक पालै महतारी । तैसी रक्षा करहिं मुरारी । हरि के प्राण वसहिं जन माहों। गरुड़ विसारि छोड़ावन जाहीं। जहं जहं परे संतन के गाढ़ा जाना राम बाल के ठाढ़ा । राम राम प्रह्लाद पुकारा पितहिं बांध पर्वत सेा डारा। ताते घाव न लागन पाई उपरै राखि लीन रघुराई । तब ते असुर खम्ह सेा बांधा। काढ़ा बङ्ग फुलावहीं कांधा । नृसिंह रूप तब घरो मुरारो। मारा असुर मिटा दुःख भारी। पिता ते रूढ़ि तपस्या कीनी । पदवी प्रचल तव ध्रुव कहं दीनो।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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