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APPENDIX II.
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Subject.-विरह।
१ सम्बन्ध-वेश भाषा का।
, -पिया के प्रसंग का। ३ , -पिया की खोज का। ४ , -विरह तमस का। ५ , -विरह वृद का।
६ ,, -विरह के प्रकाश का । No. 108(e). Sāgara by Mahāmati. Substance-Country. . made paper. Leaves-147--161 (15). Size-5" x 43".
Lines per page-9. Extent-165 Slokas. Appearance--Very old. Character-Nagari. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.-श्री कीताव सागर लेपे हैं ॥ परीकरन पेहेला ॥ भौम तले को क्या कहे। ॥ विस्तार वड़ाई हेत ॥ नेक नेक निसानियां देहादियां ॥ मैं करों साई सेफत ॥१॥ चौसठे थल चवृतरा ॥ दरवाजे तषत वरजन ॥ रूह मा मन होए सा देषीयों ॥ कर के दिल रोसन ॥२॥ मेहेराजा हूआ महमद पर ॥ पाहोचा ह क हजूर ॥ सा साहे दीदै महमद ॥ सा मा मन करे मजकूर ॥ ३॥ सा रूहे अरस दरगाह की ॥ कही महमद वारे हजार ॥ दे साहे दी गिरोह महमदी॥ जाको वातन नूर के पार ॥ ४॥ हुकुम से अव के हेती हो ॥ सुनीयों मो मन दिल दे ॥ हंक सूहरे वेचागेयो ॥ हंके साभा दै तुम पह ॥ ५ ॥ हंके अरम की या दिल मा मन ॥ साभता आया हंक दिल से | तुमे एसी वड़ाई हके लेषी ॥ हाप हाए मोमीन गले लगाए एनमे ॥६॥ - End.-कहा कहां जोत रूहन की । ओरस माह वस्तर भुषंन ॥ एक ही जोत पूरन सिंघ की ॥ जो अवल नूर सागर ॥ १२० ॥ ए सागर भर पूरन ॥ तेज जोत को गंज || इन सागर लेहेरी उठे ॥ जो पूरन नूर का पुंज ॥ १२१ ॥ महामति केहे सीध दूसरा ॥ साभा सरूप रूहन ॥ सुषकारी अति सुंदर ॥ ५वका वतन वीचतन ॥ १२२ ॥१॥
Subject.-ज्ञानोपदेश । . No. 108(f). Vedanta Kirtana by Mahamati. Substance -Country-made paper. Leaves-43. Size-5" x 44". Lines per page-9. Extent-480 Slokas. Appearance-Very .old. Character-Nagari. Place of Deposit-Saraswati
Bhandara, Lakshmanas Kota, Ayodhya.