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________________ 246 APPENDIX II. Hind.- कछुक नीद कछुक सुध ॥ रास का सुष लीए या विध ॥ जागनी जागते सुष ॥ प लीला सुष क्यों कहा या मुष ॥ ११० ॥ जगनी में लोला धाम जाहिर || सांन हृदै लिए चितधर ॥ तव उपजा चानंद सवों करार ॥ लेन जरां लीला नित बोहार ॥ १११ ॥ ईतही बैठे घर जागे धाम ॥ पूरण मनोरथ हुए सव काम ॥ धनी में हेमंत हंस ताली दे साथ उठा हस्ता सुष लें ॥ ११२ ॥ राज जी । Subject.- प्राध्यात्मिक । पृ० १--७ वह्म सृष्टि विचार । ७-१२ श्री कृष्णावतार की लीला | 108 (7). Sambandha by Mahamati. Substance. -Countrymade paper. Leaves-(96-147)-51. Size-5" × 44". Lines per page-9. Extent-575 Ślōkas. Appearance-Very old. Character—Nagari. Place of Bhandāra, Lakshmana Kota, Ayodhya. Deposit-Saraswati Beginning.—सनंध केताव लेपे हैं ॥ सन्ध भेष भाषा की ॥ भेष भाषा जेन रचेा ॥ रचया मा एने असल || भई रोसन जोत रसूल की ॥ अव फुले मापने सकल ॥ १ ॥ लिए मापने उपर के || पते दिन पन जहांन ॥ मूल मापने पाए येन ॥ सुध न परी त्रिध हान ॥ २ ॥ करना सारा एक रस || हिंदू मुसलमान घोषा सव का भांनके ॥ सव को कन्हगी ग्यान || ३ || पढें सब देषाइए || ज्यू सव को समभाए || मंत सव को देखाईए || ज्यू एक रस सव होय ॥ ४ ॥ मैं देपे सव पेन में ॥ पंथ पेर्डे दरसन ॥ देषीप संक वंदगी सर्वन की ॥ जैसा अकीन सवन ॥ ५ ॥ त सव छोड़ के ॥ जेत आप मेहदी माहामंद ॥ सेा भनी जीमी भाषा भनी ॥ एत हंद मेट हा सव हंद ॥ ६ ॥ पते दोन एनन्हक में । जुदे जुड़े बेल बेलाप || सेा हुकम इमान को || लेत सवा मीलाए ॥ ७ ॥ १ ॥ End. - तेज जात नूर भरे | लाल तलि केामल ॥ लाल ला केली के क्यू कहो || रूह नेरषे नित्र नेरमल ॥ २२० ॥ चारो तरफों चकलाई ॥ फने अदभुत रूह चत ॥ पड़ीयां अंत अचरज ॥ पत मासिक तले वसत || २२१ ॥ चारो चरन अत नाजुक ॥ जेाई देषा साई सरस ॥ ए अंग नाही तत्व के ॥ याही जात हंक अरस || २२२ || ए मेहेर करे चरन जिन पर || तिन देत हिरदे सरूप पूरन || जुगोल किसोर चित चूमत ॥ मुष सुंदर रूप अनूप ॥ २२३ ॥ जुगल कोसार अति सुंदर ॥ वैठे दाऊ नषत ॥ चरन तले रूह मेलावा | वोच वका पेलवत ॥ २२४ ॥ मेहे मंत केहें मेहेवूव की ॥ जेती अरस सुरत ॥ सेा सव वैठी कदमों तले ॥ अपनी प निसवत ॥ २२५ ॥ श्री ॥
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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