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APPENDIX II.
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Beginning:-श्री गणेशाय नमः ॥ अथ श्री लालदास कृत अवध विलास लिख्यते ॥ सारठा ॥ वंदा हरि अवतार भक्त काज जे वपु धरे दुरि किये भूभार असुर मारि सुर सुख दये ॥ दोहा ॥ पंगु चरण गूंगे वचन नयन अंध लह लाल वंध्या सुत वधिरे श्रवन जो हरि हाइ दयाल १ सत्य वसन धर चन्द्र सम पद प्रसन्न भुज चारि विघन हरन मंगल करन लाल विष्णु उर धारि २ सजन मन रंजन कथा कहीं सुनै सब कोई लाल भक्ति भगवंत की क्रिपा कछ जो हाई ३ कृष्षण यथा वृज महि सदा करत विहार प्रकास जैसे सीता राम को निहिं अवध विलास ४ अद्भुत अवध विलास को कहत यथामति लाल जा मंहि सीताराम की सुंदर कथा रसाल ५ कवि पंडित गायन पती भक्त रसिक हरिदास वीर वैद्य जोतिष विरह तह पढि अवध विलास ६ कहत सुनत सव कंह सुखद है नवरस को कंद लाल अवध लीला रची ललित मनोहर छंद ॥ ७॥
___End.-चौ० ग्राप स्त्री भूमनि अव वारी मलिल कमल जल कुस या पारी पय कीलाल अमृत है जीवन पाथ उदक कवंध भुवन वन पुहकर अंभकरन पनि पालस नीर छीर संवर अरु धनरस मेघपुहुप श्रवतो मुष जाना तोय अंधु जल नाम वषाना प्यास हरन तन पावन कर हो लाल साधु जन ज्यों अनुसरही भू अरु भूमि है अवला धरनी रसा अनंत किति धरा वरनी विस्वंभरा सस्थिरा गाई इडा ओ वसुमती कहाई उर्वी गोत्रा क्षमा वषानी छत्री भूत मेदिनी जानी वमुधा पृथ्वी विस्वंधरा विपुला महि सागरारं वरा वसहा कस्यपी सुधामा x ४ रत्नगर्भ कु अवनी माता ए वसुधा के नाम विष्याता कोउ पनि सरै सुधारि विगारै धोरज साधु धरा सम धारै अव प्रकास नाम सुन जेते सूक्ष्म व्यापक चल है ते ते अमर नभ पुहकर दव नामा मुवर्तम सवको विश्रामा गगन अनंत विपत है साई अंतरीक्ष द्वो पुनि हाई अभ्र व्योम अकास कहायसि एक विष्णुपद और विहायसि श्री सीताराम श्री सीताराम श्री सीताराम श्री सीताराम ॥
Subject.-श्री सीताराम की विविध लीलाओं का वर्णन तथा ज्ञानोपदेश।
No. 108(a). Parikramā by Mahāmati. Substance--Coun. try-made paper. Leaves--35 (17–52). Size-52" *4!". Lines per page-9. Extent-380 Slokas. Appearance-Very old. Character-Nagari. Date of Composition-Not later than A. D. 1812. Place of Deposit--Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya. ___Beginning.-श्री केताव परकमा लेखे हैं ॥ ईसक का परीकरन सुरू हुमा ॥१॥ अव कहरे ईसक की वात ॥ ईसक सवदा तीन सण्यात ॥ जो कदी