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APPENDIX Il.
Beginning.-श्रीगणेशाय नमः ॥ कवित्त ॥ गणपति मनाइ सीसु सारदात नाइ गुरुपद ध्यानु ध्याइ पावै पागे को दगरौ॥ माह तम नासै ज्ञान भान लौ प्रकासै वलवुद्धि को विलासै गुण वाढ हृदै अगरी ॥ कुशलेस कुमति नसाइ मति सर. साइ दरसाइ उक्ति युक्ति मिट रार रगरौ । लेई पदवंदि दत्तदेव गुरुदेव जू के चाहत कहन कृष्ण ग्वालिनी को झगरौ ॥ वर वरसाने ते चली है दधि दूध लैके ग्वालिनि गरूर भरी जोवन उछाह में ॥ भूषण नवीन कटि छीन तन पुष्ट पीन मति की प्रवीन दधि वेचन के चाह में ॥ कसलेश नंद कै कुमार घेरि मारग में जाति कहां ग्वारि माह मिली भले दाइ में ॥ केते दिना गई आजु भली भेंट भई अव सव ही दिना को दानु लेइ भरवाइ मैं ॥२॥
__End.-तुम वड़ भागिनि सुहागिनि है। गोप नारि दान को प्रतीति जी तुम्हारे मन आई है ॥ दान हो ते यग्य धर्म तोरथ सुकर्म सवै दान हो ते स्वर्ग अप. वर्ग. मे वड़ाई है। सत्य सील सनमान दान ये पदारथ है संत कहै दान की अधिक प्रभुताई है ॥ कुशल दधीच शिव वलि वस ईश भए दान विना काहू जस कोरति न पाई है ॥ २४ ॥ गोपी ग्वाल दान के विधान को पचीसो पढ़ वढ़ वल बुद्धिमान ज्ञान गुण संग्रहै ॥ संपति समृद्धि सुख वृद्धि सिद्धि नवनिद्धि अनुगामी पुत्र मित्र बंधु वनिता रहै गहै दान सव सवि धर्म धीरजु वढ़ावै हृदै सुमति जनावै तासु जगत भला कहै ॥ कुशलेश प्रात दही दान के कवित्त कहै लै लै धीर समै कहै भक्त कृषण की लहैं सदा लहै ॥ २५ ॥ इति दान पचीसी संपूरणं ॥ १ ॥ - Subject.-श्री कृष्ण जी का किसी ग्वालिन से दान मांगना और उस से झगड़ा।
No. 103(a). Rāma Ratnāvali by Lakshmaņa (Rāmānuja Dasa) of Ayodhya. Substance-Country-made papers Leaves-23. Size-11 inches x by inches. . Lines per page20. Extent-1,500 Slokas. Appearance-Old. CharacterNagari. Date of Composition-Samvat 1907 or A. D. 1850. Date of Maunscript-Samvat 1914 or 1857 A. D. Place of Deposit- Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning:-श्री सीतारामाय नमः ॥ दोहा | गुरुपद गंवुज वंदिकै रामचरण धरि होय ॥ रुचिर राम रत्नाक्लो जन अनाथ रचि कोय ॥१॥ वलमीक वरन्या प्रगट रामायण एक अर्व ॥ एक एक अक्षर महा हरै ताप त्रय सर्व ॥ २॥ ताप हरण को कोटि शशि भ्रमतम को शत सुर ॥ यह चरित्र रघुवीर को अखिल जगत मुख मूर. ॥ ३ ॥ भवसागर दुस्तर दुखद पार रहित विनु थाह ॥ ताको