SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ APPENDIX II. 235 End.—यह प्रशंग है द्वादस अंक दत्त कृश से कह्यौ नृसंक श्री दामोदर की प्रभुताई गंग गंग सुमिरौ रे भाई १ छंद भंग पद अक्षर होना कम विहोन गम गमलोना सकल कविनु सू विने हमारी है दयाल विहु चूक सम्हारी २ पिंगल अमरकोश नहि जानू छंद रीति किहि भांति वषानू जानि काल कलि की कठिनाई गंगा भक्ति कछू उर चाई ३ श्रुति पुराण जो सुनी सुनाई गंगा जन्म कह्यौ मै गाई अष्टादश सत ग्ररु छवीसा शंवत सर विक्रम अवनीसा ४ एक अंक षट भूमि सभीते साके शालवाहना वीते फाल्गुन शुदि त्रोदशि भृगुवारा ता दिन पूरन भया प्रकारा ५ नगर ज्याघरी उत्तिम थाना सकल लोग तहा चतुरसुजाना जदुकुल अजव सिंह सुत जाना ठाकुर अनुरध सिंह प्रमानी ६ हरि की भक्ति विप्र पद प्रीति धरै नहीं पगु भूलि नीति जासु बचन पाहन की रेपा बंधु प्रजा प्रतिपाल विशेषा ७ धर्मशील युत तीनो भाई करें ज्योंधरी को ठकुराई ॥ सिंह दलेन वंधु वड राजै पुरिषं तनु तासीस विराजै ८ लघु भ्राता प्रति सुद्ध सराग दयाराम गुण ज्ञान गभोरा प्रति प्रवीन सव जन सुषकारी सकल काज का अधिकारी ९ बहु विधि विप्र वसै तिहि ग्रामा हरिजन कुशल मिश्र इकनामा तिहि पर गंग कृपा कछु कीनो जस वर्णन की मति उर दीनी १० दोहा सारस्वत पाठक कुशल मिश्र ज्यांघरी धाम तिहि नाटकु वर्णन किया सव संतनुहि प्रमान (प्रनाम) ११ यह नाटक सीधै सुनै पढ़ गुनै चित लाई || तापै गंगा की कृपा औरू हरि भक्ति सहाई ॥ १२ ॥ इति श्री शकल शार संग्रह मिश्र कुशल कृत गंगा नाटकु सम्पूर्णम् । संवत् १८६८ शाके १७३४ वर्षे माघ कृष्ण दशमी १० बुधवासरे लिषतं मोतीराम मिश्र सामना मध्ये । पठनार्थी केवन कृष्ण कुंवर सामन के || जदवंद || श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री ॥ Subject. - गंगा जी का जन्म माहात्म्य, वलि चरित्र तथा रामचरित्र वन । नोट - कुशल मिश्र ( पाठक - सारस्वत व इक्षादास वैष्णव ) "ज्योधरी " में रहते थे । यदुकुल वंशी अजव सिंहात्मज ठाकुर प्रनिरुद्ध सिंह वहां के राजा थे जिनके बड़े भाई का नाम दलेल सिंह और छोटे का नाम दयाराम था । No. 102. Dana Pachisi by Kavi Kusalesa (Great-grand father of śridhara Pātbaka) of Jyodhāra; District Agara. Substance-Country-made paper. Leaves-4. Size-9 inches x 6 inches. Lines per page-27. Extent-25 Ślōkas. Appearance—Old. Character —Nâgari. Date of ComposiPlace of Deposit tion-Samvat 1844 or 1787 A. D. Pandita śridhara Pathaka, Lukargañj, Allahābād. •
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy