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________________ 234 चिरंजीव तव लगि सुभूव ॥ ६३ ॥ महादानि परि जुद्ध जुरि जोत्यैा कैं उहेट | भाजपाल जदुवीर कौं करी कीन कवि भेट ॥ ६३ ॥ इति श्री यदुवंसावतंस श्री भोजपालस्य विरचिते रागसमूहे षट राग वर्णनं समाप्तोयं सपतमाध्याय ॥ ७ ॥ सुभमस्तु || सं० १८४६ लिक्षितं सेवादास पुस्तकं पढ़नार्थं समाप्तं ॥ श्री ॥ श्री ॥ Subject. - संगीत । पृ० २ - रागात्पत्ति वर्णन । " ܕܕ APPENDIX II. ९ - मानकोस परिवार वर्णन । , १३- हिंडोला राग वर्णन । १७- दीपक परिवार २१- राग " , २६ – बटराग No. 101. Ganga Naṭaka by Iksha Dasa alias Kusala Misra. Substance-Country-made paper. Leaves-51. Size— 74 inches x 5 inches. Lines per page – 20. Extent— 1,275 Slokas. Appearance — Very old. Character—Nagari. Date of Composition-Samvat 1826 or 1769 A. D. Date of Manuscript——Samvat 1868 or 1811 A. D. Place of Deposit — Thåkura Umarāva Singh, Jakhaita (Bulandasahar.) नाटक Beginning.—श्री गणेशाय नमः ॥ श्री गंगायै नमः ॥ अथ श्रीगंगा नाटक fa || दोहा || हरि गुर चरण शरोज दृढ़ मनु मधुकुर लपटाइ || श्रीगंगा मैं कहूं सुनत पुन्य अधिकाय ॥ १ ॥ शंकर गवरि गणेश गुह तिनके चरण मना ॥ वरनूं गंगा विशद यश हाइ सारदा सहाइ ॥ २ ॥ जा सुमिरत अघ थर हरत पाप प्रलाप नशात श्रीगंगा जू के दरस विधि हरिहर है जात ॥ ३ ॥ ब्रह्म रूपिणो ब्रह्ममय वह्म कलेवर जानि ब्रह्म कल्प की वेलि यह मन इक्षा वरदानि ॥ ४ ॥ अद्भुत जल अद्भुत चरित अद्भुत कथा प्रसंग || अद्भुत गति लहरि तरंग ॥ ५ ॥ अत्यद्भुत नाटक रच्यो दीना नरनु सिषाइ || पढत गुनत सोबत सुनत छिन छिन सुष सरसाइ || ६ || एक अनेक स्वरूप है विचरति त्रिभुवन माहि ॥ परसत नर की का कहै पर सुकर तरि जाइ ॥ ७ ॥ मंदाकिनी प्रकाश मैं भोगवती पाताल ॥ ग्रनकनन्दिनी भूधरी भागीरथ भूपाल ॥ ८ ॥ इक्षादास सुवैष्णव कही कुशल सुष देहु || श्रीगंगा नाटकु है सुधा वर्ष विमल जसु लेहु ॥ ९ ॥ गंगा नाटक करन कू बढ़गे कुशल उत्साह दत्त दयानिधि कृपा ते सहजहि होई निवाह ॥ १० ॥ गंग के "" ५- भैरव परिवार वर्णन । "9 "" ܕܕ "" '
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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