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________________ APPENDIX II. 233 कुल स्यानप तव लों मन मैं मोर ॥ कृपा निवास लगन राघो की जव लगि व्यापि न पीर ॥१॥ लगन के जोर सेा मन छूट सकल मरार ॥ चार कठोर धार निसि जवलों कोमल भय भये भार ॥ नेमन वारा नदी पापु में तव लाग चलत मुषारा॥ लगन की लहरि की गहरि परै जव मरै मझधारा ॥ * . * . ___End.- राम लग्यो जाका और न लागै ॥ नव ग्रह भूत प्रेत दिव दानव ऊत पित्र यमकिंकर भागे ॥ कर्म काल कुल क्लेश कुमारग काम क्रोध कोई पावै न प्रागै ॥ चार चुगल चिन्ता छल जादू यंत्र मंत्र जग कवहु न जागै ॥ दगा दोष दुवोद दूत दुष दाग दरिद्र दूर ते त्यागै ॥ ठग ठाकुर को करि कटु कंटक संक पंक पर अंक न पागे ॥ लाज लाभ लालच अपलक्षन पाप पोर पाषंडन दागै॥ अनल अनिल जल थल पे के चर गोचर पर चर विधन विराग ॥ जाग्रत सप्त मनोरथ मादक माया मोह को मुर गई वागे ॥ कृपानिवास कहे माहि लाग्यो जानकिवर पाग्या अनुरागै ॥४०॥ इति श्री लगन पचीसी कृपानिवास जी कृत सम्पूर्णम् ॥ संवत १९०२ भाद्रमासे शुक्ल पक्षे तिथा एकादश्यां गुरुवासरे ॥ ___Subject.-राम के प्रेम के लगन संबंधी पद । No. 100. Riga Saindha by Krishna Kavi. SubstanceCountry-made paper. Leaves-26. Size-8 inches x 6 inches. Lines per page-14. Extent-705 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Manuscript-Sannvat 1846 or A. D. 1/89. Place of Deposit-Pandita Natabara Lāla Chaturvedi Kõțewālā Śítala Pāyasā, Mathurā. ___Beginning.-श्री श्यामसुन्दरोदयोजयति ॥ सवैया ॥ पूरन प्रताप पुहमी पे परगट ताका यह रथु जाकी सूरज सूवेस है बड़ी प्रभुताई बड़े ऊदित सह कर हाभित विमल अंग अवर प्रवेस है आपु वरषतु सुवरनु जग पापन को भैंसा गृहपती देखियतु देस देस है कस्न कविताई मैं बनाई वात यामें कहा जैसा राजा रतन साई दिनेसु है ॥ १२॥ कलि में कविताई सकल भिग रज गुन गाह ॥ ईन्द्रजीत पाछ करी भाजपात्र चित चाह ॥ ५३॥ सा का कवि जो तुमै रिझवै परम प्रवीन तुम्हरी आग्या पाइकै करिहों ग्रन्थ नवीन ॥ ७९ ॥ ब्रह्मादिक पावै नहीं अनहद नाद विवेक ॥ तहाँ कहाँ मति मानवी वरनै भेद अनेक ॥१५॥ जठर अगिनि सौ मनु मिलै प्रेरै स्वासा उठाई ॥ उपजि नादुहु जंह चढ़े सा पंचस्थान वताइ ॥१६॥ End.-दाहा॥ रकिरनि धरनि दसहु दिमि मंडित ॥ जव लगि राग समाज ताल सुरधर्म धराईन जव लाग वक तपत जपत द्विज वेद परायन । हनं विभीषनु व्यासु वलि अस्वथामा कपाराम धुव ॥ भोजपालु संचति सहित
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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