SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 228 APPENDIX II. लो अनादि उपास ॥ रह्यो घुमडि रसराज उर कह्यो प्रकास निवास ॥ २५ ॥ इति श्री कृपा निवास कृत भावना पचीसी सम्पूर्ण सीताराम ॥ Subject. पृ० १-३- श्री जानकी जो की अष्ट सखियां । अष्ट सखियां राम जो की । ३-६- शृङ्गार पचीसी - शृङ्गार वर्णन । ६- ९ - उत्थापन - प्रातःकाल । "" ९-१२ - शयन -की नित्य किया ॥ १२- १४ - श्री सीताराम की उपासना - संध्या समय किया । "" No. 99 (d). Samaya Prabandha by Kripa nivāsa. Substance—Country-made paper. Leaves-22. Size-9 inches ×3 inches. Lines per page-14. Extent —1,700 Ślokas. Appearance—Old. Character—Nagari. Place of Deposit - Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhyā. Beginning. - श्री गणेशायनमः श्री गुरुचरण कमलेभ्यो नमः श्री मन्महावीराय नमः श्री सीतारामानुरागिभ्यो नमः | ० || श्री सीतारामाभ्यां नमः ॥ श्री महारास रसिकाय श्री कृपानिवासाय नमः ॥ अथ श्री समय प्रवन्ध ग्रन्थ निष्यते मंगल राग भैरभ प्राड ताल प्रथम उपासक भाव विचारै सत गुरु दया सषी तन करि निज रंग महल रस रहस निहारै ॥ तन कृत करि गुरु प्रेम भावना आयसु पाय महल पगु धारै मधुर मधुर गति मधुर भाव सेा मधुर मनोहर सयन संभारै साए सजनी रजनि उनोदं सुरति विनोद प्रमोद अपार निरषि भरोषन सकुचि जगावन उनमत छवि लषि प्राण विसारै मंगल आदि शृंगार सेज सुष चिद विलास रस टहल सवांरै कृपा निवास श्री रामप्रिया की कृपा गम सव सुगम हारै ( हमारे ) End.-राग रामकली मूलताल || राजकुंअर मेरो संग लभ्यौरी जंह जंह जां तहां ही लाउ प्रेम विवस रस रहत पश्यारी साई रहा सपने चमकावै जागी उठे तव मृदु मुसक्यावें हंसि हेरो तब फूल मगन तन रोष करों तव हां हां पावै वेस दुराइ दुरौं सषियन में दृष्टि चाराय बदन पर बोले पद परसत अपराध छमावत मन हरनी मधुवानी वाले भवन छिपां षिरकी घरकावै पाय अकेली संक भरी सरजू जांउ न्हान सिय पीछे प्राय सु नाना कौतुक करै री हारि वसा मागे गृह मेरो गुन गावै हंसि वीन वजावै कृपा निवास राम रसिया वर रसिकन हित
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy