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APPENDIX II.
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___Beginning.-श्री गणेशाय नमः । गजमुख सनमुख हात हो विघन विमुष है जात । ज्यों पग परत पयाग मग पाप पहार विलात ॥१॥ वानी जू के वरन युग मुवरन कन परिमान ॥ सुकवि सुमुष कुरुपेत परि होत मुमुरु समान ॥ २॥ सत्व सत्व गुन का कि सत्य ही की सत्या मुम सिद्धि की प्रसिद्धि कि सुवुद्धि वृद्ध मानिये ॥ ग्यान ही को गरिमा कि महिमा विवेक हो की दरसन ही का दरसन उर आनिए ॥ पुन्य को प्रकासु वेद विद्या को विलासु किधों जस को निवासु केसोदाम जग जानिये ॥ मदन कदन सुत वदन रदन किधों विधन विनासन की विधि पहिचानिए ॥ प्रगट पंचमो का भयो कवि प्रिया अवतारु ॥ सारहसो अठ्ठावनहि फागुन सुधि वुधवार ॥ नृप कुल बरनों प्रथम ही अरु कवि केमव वंस ॥ प्रगट करो जिन कवि प्रिया कविता को अवतंस ॥
__End.--कामधेनु है आदि अरु कल्प वृक्ष पर्यंत । ववरना केसव सकल विचित्र कवित्त अनंत ॥ इहि विधि केसव जानिजहु चित्र कवित्त अपार वरनत पथु वताइये दीनो वुद्धि अनुसार सुवरन जटित पदारथ भूषन भूषित मानि कवि प्रिया ज्यों रछि कवि सजीर्वान जानि पल पल प्रति अवलोकित्र गुनिवो मुनिवो चित्त कविप्रिया ज्यों रछियहु कवि प्रिया को मित्त । केशव सारह वास मुभ मुवरन म सुकुमार। कवि प्रिया के जानिजहुं सारहु सिंगार ॥ इति श्री मद्विविध भूषण भूषितायां कविप्रियायां चित्रालंकार वर्णनं नाम सप्तदश प्रभावः शुभमस्तु ॥ नोट-चित्रालंकार में चित्र भी दिये हैं। कविप्रिया ग्रन्थ सजिल्द है ॥
SUBJECT. प्रार्थना गणेश जी की १-नृप वंश वर्णन
| ४२--राज्य श्री रूषन वर्णन ५-कवि वंश वर्णन।
५०-जाति, विभावता, सभा व ७-सोष कवित्त वर्णन ॥
हेतु, विरोधाभास, धैर्याछेप १६-सामान्यालंकार २३-हर
६१-७४-विशिष्टालंकार २४-विधि
७५-८०-सिद्धालंकार २५ -सूर्य
८६-९३-उपमालंकार ३२-भूमि, नगर, बन, सरित, समुद, ११०-११३-जमकालंकार
षट् ऋतु आदि वर्णन ॥ ११३--चित्रालंकार लक्षण
आदि