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APPENDIX II.
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धर्म ४ अपने अपने धर्म तहां सवे सदा मुख कारि याला देस विदेस के सवे रहे नृप हारि ५ रच्यो विरंचि विचार तहां नृप मणि मधुकर साहि गहिर वार कासीर कुल मंडन यसु ज्याहि ६ ताको पुत्र प्रसिद्ध महि मंडल दुलह रामु इन्द्रजित जाका अनुज मकल धर्म को धामु ७ दीनी ताहि नृसिंह युत तन मन रन जय सिद हित की लछुमन राम या भई राज सैौ वृद्धि ॥८॥ तिन कवि केसवदास सेां कीयो धर्म सनेहु । सव सुख दै करि यह कहनौ रसिक प्रिया करि दहु ९ संवत सारह सै वरस वीते अठतालीस कार्तिक सुदि तिथि मतमी वार वरनि रजनीस १० अति रति मति गति एक करि विविध विवेक विलाम रसिकन की रसिक प्रिया कीन्हो केशव दाम ॥११॥
Subject.-नायिका भेद । No. 96. (6) Rasika Priya by Késava Dāsa. Substance Country-inade paper. Leaves-50. Size-9 inches x64 inches. Lines per page 21. Extent 1,330 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-SriDévaki-Nandanācharya Pustakālaya, Kāma vana, Bharatapur. Beginning.-वसिडतः
• अथ करुना रस विरह ॥ मंत्र ध्यान ॥ दोहा ॥ सुष में दुष क्यो वरनिये ए वर्नन व्योहार तदपि प्रसंगहि पाइ कछु बरनत मति अनुसार ॥ १ ॥ अथ करुना रस विरह हेरत हेरित हरित हिया हेरत हारी है। हरन नैन हग्नि कहुं लहै। ॥ वनमाली बज पर वरषत वनमाली वनमाली दुरि दुष केसव कैसे सहै। हृदय कमल नैन देषिकै कमल नैनु हैाऊंगी कमल नैनु रु है। कहा कही आप घने घनस्याम धन ही स होत घनस्याम के दिनन घन स्याम विनु क्या रहा ___End.-प्रच्छन्न स्वाधीन पतिका ॥ केसव जाका गुन वध्यो सदा रहै पति संग ॥ स्वाधीन पतिका ताहि है। वरनतु प्रेम प्रसंग
Subject.-नायिका भेद।
No. 96 (c) Kavi Priya by Kesava Dasa. SubstanceCountry-made paper. Leaves-129. Size--9 inches x 6 inches. Lines per page-13. Extent-1,677 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Composition Samvat 1658 or A. D. 1601. Place of Deposit-Bhārati Bhavana, Allahabad.