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APPENDIX II.
निर्माण काल कार्तिक वदि नामो वुधौ पुष्य नक्षत्र शुभ मान ॥ सहस अष्ट सत तीस पे (१८३०) वानहि लखा सुजान ॥ अठारह से पैतीस बुधि कातिग वदि शुभ जान कमल नयन नौमी तिथि ग्रन्थ कियो निरमान ||
End.-अथ गायवे को गरे। अति शुध होय ॥ छंद ॥ लेहु अरूसो वध वासी को कूठर पीपलि सुभगली येइ व्य प्रांनि पुनि कृटि छानि तिनि सहद मांझ सव पानि रलि ॥ रजनी मप्त कहत अवलेहहि जो करि है तो वहुतै फनी कल कंठ होयगा जहि माहिगौ जो किंनर की कथा चली ॥ २१ ॥ अथ सरस्वती चूर्ण ॥ चन्द्र ग्रहन मैं वच सुले तुरमाने में गाडि ॥ लेहु ग्रहन जव उग्रहै होय वुधि पति वाढी वालक को अथवा सुक हो मुना कंठ ठहराइ ॥ कोउ याही धरी मुषही तीव्र बुधि है जाय ॥ २३ ॥ धरि मुष राति जु सावई इहि विधि करै जु कोइ ॥ कृपा करी तिहि भारती महा विचक्षण होय ॥२४॥ चूनों जो मुष में लगे तासु इलाज वषानि मिरच एक कै द्वै सु ले लौन हाय कै न्यान ॥ २५ ॥ खातहि पाछे होयगी अजैमायै सो बेर चूने पै अति सफल है नेक न मानो फेर ॥ २६ ॥ अथ दसमूल ॥ श्लोक ॥ सालिपर्ण पृष्टीपर्णी वृहती केर कारिका ॥ तथा गोक्षुर कश्चैव पंथमूलमितिस्मृतं ॥ १ ॥ विल्वाग्नि मेथस्यानाक काश्मरी पायला तथा ॥ तेयं वृहत्यंच मलं दशमूलमुभे स्मृते ॥ २ ॥ इति श्री कमला प्रकाश वैदिक ग्रन्थ राय कमल नयन कृतायां सम्पूर्ण समाप्तं ॥ निप्य कृतां ताराचन्देन लिषायतं राज्य श्री बलवन्त सिंह जी ग्रामाधीश रायगढ़ का ॥
Subject.--वैद्यक। पृ० १ देवताओं की वन्दना-गुसाईं वर्णन-राजा वर्णन । ,, २ नगर वर्णन, अन्य निर्माण वार्ता-कवि का आत्म परिचय ।
, २-६६-चिकित्सा प्रकरण-भिन्न भिन्न रोगों की औषधियां ।
No. 95. Rasa Kallola by Kavi Karana Bhatta. Substance-Country-made paper.-Leaves 18. Size-93 inches x4) inches. Lines per page-10. Extent 350 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Manuscript --Samvat 1890 = 1833 A. D. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
___Beginning.-श्री गणेशायनमः ॥ अथ रसकल्लोल लिष्यते ॥ सुमनवन्त साभा सदन वारन वदन विचारि वितरत फल नितरत चतुर सुर तरवर कर चारि ॥ जगरानी वानी चरन दोपति सुरसरि पूर सुरपुर नरपुर नागपुर पुरित