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APPENDIX II.
of Manuscript-Samvat 1810 or A. D. 1753. Place of Deposit-Bābū Purushottama Dāsa, Visrāma Ghāta, Mathurā.
Beginning.-श्री गेशायं (गणेशाय) नमः ॥ अथ वृत्त चन्द्रिका लिष्यते। दोहा ॥ श्री गुर प्रानन्द रूप के चरन कँवल की नाव । बैठि मधुप मन जिनि परै भा मागर के दाव ॥ १॥ मुंडा दंड प्रचंड मुष मंडित मधुप उमंड । भव मंदिर मंडन करन जय प्रचण्ड वेतंड ॥ २॥ बीन वजावन के समैं व्यास्यो वेद विलास । मारद पूरन चन्द रुचि सारद मुष मृदु हास ॥ ३॥ कवित्त ॥ वानी के निवास नाग पिङ्गल प्रसन्न भय मूक हूके मुष पुनकति मुष भारती ॥ फुरत तुरत छन्द ज्ञान मय भान रुचि मूढ़ता अपार अन्धकार तै उघारती ॥ सरसति सुधाकर मुधा सिंध हृत वर बरनि धरनि पल दृषन विदारती ॥ मांनि कविराज के समाज मिरताज ताहि कोरति कनांनि क उतारियत प्रारती ॥ ४॥
End.-अथ लीलावती छंद ॥ इहि विधि मत्ता वर्ण उम्ग करि यह सव पिङ्गल मार कह्यो ॥ परतछि लछुल छन धरि तछन सुगम भली विधि जातु लह्यो ॥ इक इक जंह उदाहरन मुषकारक होत श्रवन सुनि सवनि चह्यो । पुनि वलावंध पति साह वुद्ध को जहां सरस जस छाइ रह्यौ ॥ ३२ ॥ इति श्री श्रीकृष्ण कवि कलानिधि कृत वृत्त चन्द्रिकायां मात्रावर्ण वृत्ति निरूपणं नाम दुतियं प्रकरणं समाप्तोयं ग्रंथः ॥ संवत १८१० अषाढ सुदि १३ शनिवार ॥ श्रीरस्तु ॥
___Note. -इसके वाद ४ पृष्ठों में वर्णप्रस्तार, मात्राप्रस्तार, उदिष्ट, मात्रमेरु, मात्रा पताका, वर्णपताका, मात्रामकटो, वर्णमर्कटी, वर्ण मेरु, प्रादि के वर्णन चित्र के रूप में लिखे गये हैं ॥
Sub ect.--छंद शास्त्र।
No. 93 (1) Nava Sai by Krishna or Kalānidhi. Substance-Country-made paper. Leaves-24. Size-72 inches x4t inches. Lines per page-16. Extent-385 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit - Bhatta Sri Magana Lāla, Tulasi Chautarā, Mathurā.
Beginning.-श्री गुरुभ्यो नमः ॥ कवि कलानिधि कृता नवाई लिख्यते ॥ दाहा ॥ चंदन चंद्रक चारु चित रुचि चंद्रिका अमंद ॥ चष चकार सुषकंद इक रामचरन नष चंद ॥ १॥ नष हीरनि रघुवीर की चरन अंगुली लान ॥ सुमन कलीनि समेत मनु सुर तर पल्लव जाल ॥ २॥ सुवस वसतु वपु अवधिपुर चित सरजू तट धाम ॥ चारौ पदारथ के लला खेलहु खेल ललाम ॥३॥ मन वच वसु करि मैं यही गही लही जिहि भाउ ॥ सरन तरन भवसिन्धु कों चरन कमल तुम नाउ ॥ ४॥ करुना तरलित तार तुव नयन लसत रसमीन ॥ हसत