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________________ 214 APPENDIX II. पूरन मसी दछ तनया सम इधर ॥ ३४॥ वजचकवति कुमार गुनगन गहिर सागर गाज हो ॥ श्री राम चरन सरोज अलि परताप सिंह विराजही ॥ तिहिं हेत रामायन मनोहर कवि कलानिधि ने रच्यो । ताहां बान काण्ड दसरथ प्रमादन सर्ग अठ चालीस मध्या ॥ ३५ ॥ इति श्री रामचन्द्रोदये बालकाण्डे श्री कृष्ण कवि कृते दसरथ प्रमोदनो नाम सर्गः ॥४१॥ श्री शुभमस्तु ॥ संवत १८३९ ॥ मिति वै ज्येष्ठ शुदि पूरनमांसो ॥ श्री रामचन्द्राय नमः ॥ Subject.--वाल्मीकीय रामायण बाल काण्ड का पद्यमय हिंदो अनुवाद। No. 93 (c) Vālmīki Rāmāyaṇa, Yuddha Kāṇda by Kalānidhi. Substance-..Country-made paper. Leaves--293. Size--114 inches x 6.9 inches. Lines per page--13. Extept-- Albout 9,500 Slokas. Appearance - Old. Character - Nagari. Date of Manuscript-- Samvat 1870=18133 A. D. Place of Deposit -The Hindi Sahitya Samiti, Bharatapur. Beginning.-श्री रामायनमः ॥ अथ युद्ध कांड निख्यत ॥ दाहा ॥ करे पार जर सिन्धु के राम सकन कपि सन ॥ सुक सारन मंत्रानि तव दस मुख वाल्या वैन ॥ १॥ कवित्त ॥ सागर अपार तरि आयो वान वानान का वांध्या संतु पानी पै न असी कवहुं भई ॥ मानि वैन पावत मुकीनो काम राम तिहि कारन छुटाना मन सार न लषै नई ॥ केती कपि सैन सब कोवै निरधार अब पैठि के अत्नछित लष्या जु चहुंधा छई ॥ गूढ कपि रूप गहि गनिवे को जागि तुम जिनके विशुद्ध जिय बुद्धि विधना दई ॥२॥ केता वल कैसी असवारि कौन जोध तहां कता पुनि पाहि कैसे विक्रम विलास हैं ॥ कौन कपि मुख्य कौन मंत्रो पुनि राघव के कौन धों सुग्रोव के रहत आस पास हैं ॥ कौन सूर सामुहे प्रथम कैसे सागर मैं वांध्या सेतु जासु जल छियत प्रकास हैं ॥ कोन भांति कानन में परी कपि सन तिन सेनापति कांन जिन्हें जोवे की न पास है ॥ ३॥ ___End.-छप्पै ॥ इहिं पुरान प्राण्यान विष्णुबल विजय वषान्य ॥ पठत वेद वित विप्र हाइ जग में सनमान्यों ॥ छत्रिय राजहि लहत बनिक धन संग्रह पावै घरनजात पुनि सुनत परम आनन्द उपजावै ॥ आरोग्य पाउ जस पुत्र धन धाम करन साकहि हरन ॥ इहि छंद चरन चौथो पठत नर वैकुंठहि मुष धरन ॥ १३ ॥ सवैया ॥ रिद्धि महा धन धाम समृद्धि सवृद्धि सदा सुत सम्पति साहै ॥ झांझर के भनकार किया मृग नैननि के मधि आनन्द दोहै ॥ लछि रहे थिर अछि लहै सुष देषत लोग सबै मन माहै ॥ राम सियापति लछन म्रात हिया जग मैं नहि गावत कोहै ॥ १४॥ व्रज चक्रवर्ति कुमार गुन गन गहिर सागर गाजई ॥ श्री राम
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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