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________________ 204 APPENDIX II. तिमिर हरन मंगल करन तत मत चित भगवान । विस्व रूप सव विस्व को आदि मध्य अवसान ॥५॥ गुरुपद पंकज को सदा प्रोति सहित सिरु नाइ । भानु रूप जा हगन ते तम अज्ञान नसाइ ॥६॥ विमल बुद्धि गुर की कृपा श्री चरनन को ध्यान । जा हे करता विस्व की भरता हरता जान ॥ ७॥ जो है व्यापक विस्व में एकही रूप स्वभाइ ॥ ताका मैं वन्दन करौं हाथ जारि सिर नाइ ॥ ८॥ कवित्त ॥ एक समें विष्णु अज व्यापक अनोह जो है ताको यह इछा भई काम सुष मानिये ॥ ताही समे खंड द्वै स्वरूप नर नारि भयो महिमा अनन्त गति वेदन वष निये ॥ जै जैराम कहे नित क्रीड़ा करें वृन्दावन चिदानन्द घन भक्ति प्रम पहिचानिय ॥ गधारूप कृपण जानि कृष्ण जानि राधारूप राधाकृष्ण मूरति जुगल एक जानिये ॥ ९ ॥ जाकों कहें अज है नित है और वेदन में जो अनन्त कह्यो है ॥ जामैं न रंग न रेष कछु आ चतुर्दश लोक सरूप क्या है ॥ जै जै राम कहै ताही ब्रह्म ने सावरौ सुन्दर रूप गयो है। सा वसुदेव के चित्त में प्राइ के देवकी के ते प्रकाश भयो है ॥१०॥ एक है जो औ अनेक है भासत शक्ति अनंत गुनंत मई है ॥ जो अज पै हरिपे और रुद्र पे ध्यान हू मै निरषो न गई है ॥ जय जय राम कहै सब विस्व में जाहो की जाति अनूप छई हे ॥ सा वषपान के गेह मैं प्राइकै कोरति कोषि प्रकाश भई है ॥ ११ ॥ दोहा ॥ ताही राधा कृष्ण की प्रेम लक्षिणा भक्ति ॥ श्री जसवंत कंवार के हृदय विराजत नित्ति ॥ १२ ॥ तिन को आज्ञा के भए जै जै राम सुजान राधाकृष्ण चरित्र को वानी भाषा प्रान ॥ १३॥ एक सहस्र ओ पाठ सन सतसठ संवत पाई। करौं अरंभ या ग्रन्थ का कीजा गिग सहाय ॥ १४ ॥ End.-ताते जन महित करि जागा। मम कीर्तना नाम संजागा ॥ गिद्ध काटि सहस्त्र परमाना। जन्म मकरन सूकर पाना ॥ स्वापद जन्म सतन परिमाना। कुह भोजन निकरत ज पा । ॥ विप्र अदीछित है जा काई । संघ चिन्ह जुत मुक सा हाई ॥ वृषवाहो दुन हात मुजाना । गजहंस निश्चे का मानो ॥ चित्र वस्त्र चुरावत जाइ । त'न जन्म मयूर सा हाई ॥ तेजपात जा हात सुजानो । साकारंड जान्ह पहिचाना ॥ (अपूर्ण) Subject.-ब्रह्मवैवत्त पृगण कृ... खण्ड का भाषान्तर । पृ० १-२-मंगलाच रण, वन्दना गणश, शिव, गुरु और गधाकृष्ण की। पृ० -वन्दना-सरम्बना। पृ. २-१६-नृप कल वगेन। पृ० १६-२२-कवि वं वर्णन, गर और तान्न वर्णन, वाग, हरि मन्दिर तथा दग्वार वर्णन । पृ० .२२-ग्रंथारम्भ। अनि प ८७
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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