________________
203
जित को प्रति प्रभुताई श्री बलभद्र षंड मन भावन पुनि विज्ञान पंड प्रति पावन यहि विधि स नव षंड साहाये शौनक प्रति मुनि गर्ग सुनाये शैानक जू से विदा कराई गर्गाचल गये मुनि सुषदाई संवत उन्नीसै सुषदाई तापर ऋतु सामा अधिकाई पुनि ऋतुराज समय प्रति पावन फागुन मास अधिक मन भावन राधा पक्ष अधिक सुषदाई भांमवार पूनों छवि छाई महाप्रभू को जनम सुहायो तबहीं कीर्त्तन गाय सुनायो ॥ ३० ॥ इति कृष्ण प्रेमसागर जैदयाल कृते नारद जनक संवादे गर्गाचार्य शैनिक संवादे नवमा तरंगः विज्ञान षण्ड समाप्तः ॥ Subject.—गर्ग संहिता (संस्कृत) के अनुसार कृष्णचरित्र की कथा जिम में निम्न लिखित नव खण्ड हैं
सूत्र संख्या
३
APPENDIX II.
४
१००
(१) १८
(२) १६
(३)
७
( ४ )
९
(५)
१५
(६) १२
(७) १६
( ८ )
(९)
""
No. 87. Brahma Vaivarta Purāņa, Krishna Khanda Bhāshä by Jaya Jaya Rāma of Maidū. Substance-Countrymade paper. Leaves-730. Size-8 inches x 5 inches. Lines per page-13. Extent-20,000 Slōkas. Incomplete. Appearance-Old. Character — Nāgari. Date of Composition-Samvat 1867 A. D. 1810. Place of Deposit-Presented at the All-India Hindi Sahitya Sammelana Exhibition, Indore.
=
गोलोक खण्ड |
वृन्दावन ""
गोवर्द्धन
माधुर्य
-:
मथुरा
द्वारिका विश्वजित
बलभद्र
विज्ञान
29
""
"
"
ܕܕ
""
Beginning.—श्री कृष्णाय नमः ॥ अथ ब्रह्म वैवर्त्त पुराणे कृष्ण षण्ड भासा लिख्यते ॥ सारठा ॥ गन नायक वर देव सुमरत दायक सिद्धि के । मन बच कर्म के सेव जो प्रेरक हे बुद्धि के ॥ दोहा ॥ अरुण वरन भूषन ग्ररुन ग्रहण वसन युत हंस । कपा करो सारदा वंदन करत प्रसंस ॥ पीत वसन भूषन बिबिधि दीरघ द्रग भुज चार । कमना पति सब जगत पति मा मन करौ विहार ॥ ३ ॥ इन्दु बरन वाहन वरद चन्द भाल ईसान उमा सहित बन्दन करौ क्रपा करै। 'भगवान ॥ ४ ॥