SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ APPENDIX II. 205 No. 88. Subodhini Tika Bhasha of Srimad Bhagavad Gita by Jayata Rama. Substance-Country-made paper. Leaves-217. Size-8 inches x5 inches. Lines per page20. Extent-About 6400 Slokas. Appearance-Old. Charac. tor-Nāgari. Date of Manuscript-Samvat 1855 = A. D. 1798. Place of Deposit-Edward Hindi Pustakalaya, Hath. ras. Beginning.--श्री रामो जयति ॥ श्री गणाधिपतये नमः ॥ अथ गीता को टोका सुवाधिनी का वानी लिख्यते ॥ चौपाई ॥ प्रथम सीस गुरु चरननि नाऊं। सियाराम पद पंकज ध्याऊं ॥ वन्दा वानो पर गण नायक । मम उर वसा अमल बुद्धि दायक ॥ १॥ बहुरि सकल सन्तनि सिर नाऊं। कृपा दृष्टि ले सीस चढ़ाऊं ॥ सब मिलि मेपर का करी। गीता तत्व हृदै में धरौ ॥ २ ॥ ताते कछुक भाषा ज्ञानु । दोहा अरु चौपई वखानुं ॥ मम मति अल्प कहा कहि गाऊं। गीता सिन्धु पार नहि पाऊं ॥३॥ तामै रूप अर्थ मग साई । मरजी वा विन लहै न कोई ॥ सा पुनि हरि गुर कृपा ठानै ॥ मन मरजी वा तत्व पिछाने ॥ ४॥ दोहा ॥ श्री गुरु की प्रग्या भई जयत राम उर धारि ॥ कहीं सबोध प्रकासिनो श्री घर के अनुसारि ॥ ५॥ End... कही पठारही ध्याय लक्ष्मी सै भगवान ॥ सा संकर कैलास में कह्यौं सतो सा ज्ञान ॥ ४१ ॥ याको पदम पुराण के माही है विस्तार ॥ जयत राम संक्षेप करि कही जू भाषा सार ॥ ४२ ॥ जो कछु मैं घटि बढ़ि कह्यो मेरो मति अनुसार ॥ सबो सन्तन मन बीनती नोकै लेहु सुधारि ॥४३॥ श्री वृन्दावन पुलन मधि वास हमारो साइ॥ तहां जयत भाषा करो सुनत सबै सुख होई॥ रासस्थलो याही को कहियै ॥ प्रेम पोठ नाम सौ लहियै ॥ ग्यान गुदरी प्रसिद्धि मानौ ॥ ताके मधि स्थान सुजानौ ॥दोहा॥ नित्य लीला विहार इहां ॥ नित्य समाज है माइ॥ या रज सुर व छा करै या मम और न कोई ॥ साई रज सिर धारि निज भाषा करी उचारि ॥ जयत राम मम इष्ट पद युगल हृदै मै धारि ॥६०॥ इति श्री भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्म विद्यायां योग शास्त्रे श्री कृष्णार्जुन संवादे सम्पूर्ण ॥ इति श्री पद्म पुराणे उत्तर पण्डे सतो ईश्वर संवादे गोता महात्म्ये जयत रामेण कृतं भाषायां अष्टादशो अध्यायः ॥ १८॥ श्री संवत १८५५ वर्षे श्रावन सदी १२ प्रति लिषतं माती रामेण वैजु पाडा मध्ये लिषायतं कवर राम नारायण ताडावाल शुभं भवतु ॥ ६॥ श्री ॥ ६ ॥ श्री॥ __Subject.-गोता की श्रोधर कृत टोका का भाषानुवाद गीता माहात्म्य के साथ। 14
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy