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रस में मगन है समीप सेा क्षण मात्र टारि नहि सकत परंतु तत्पुष नेत्र है ताही आलस भरे देखि कै श्री महाराजाधिराज श्री महारानी जू में कहत भये व कुंवरन को अरु....
'अपूर्ण'
Subject. श्री सीता राम की प्रष्ट याम लोला वर्णन ।
पृ० २ प्रातरुत्थान वर्णन ।
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३
पृ०
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APPENDIX II.
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प्रातः मंगलाचार वर्णन ।
दन्तमञ्जनादि कथा वर्णन ।
स्नान लीला वर्णन ।
कलेवा भाजन वर्णन ।
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पृ०
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पृ०
पृ० १०
पृ० ११
पृ० १२
पृ० १३ मध्याह्नोत्तर लोला वन ।
No. 83 (7). Sita Rama Siddhānta Muktāvalī by Janaka Kisori (Rasika Ali). Substance-Country-made paper. Leaves-26. Size-93 inches x 4 inches. Lines per page-8. Extent—650 Ślokas. Appearance - Old. Charactor - Nagarī. Place of Deposit-Saraswati Bhaṇḍāra, Lakshmana Kota, Ayodhya.
वसनाभूषण धारण वर्णन । रहस्य- सभा कुंज वर्णन । भेाजकुंज भेाजन लीला वर्णन । शयन लीला वर्णन ।
मध्याह्न शयनेात्थापन लीला वर्णन ।
Beginning.—श्रो जानकीवल्लभो विजयतेतरां ॥ श्रो मन्मारुत नन्दनायै नमः ॥ श्री गुरुवे नमः ॥ श्री जानकी रघुनन्द रसिकायै नमः ॥ कधिपकिटमपि विलसित पद नख रघुतैः ॥ श्री मन्महाराज सार्वभौमस्य पंक्ति रथस्यात्मजस्य सर्वद्गुण सेवेष्टितस्य ॥ श्री मिथिलेशात्मजा वल्लभास्यातिव भाय तत्पादांबुज मधुप मणये ॥ श्रीमत् मारुत् नन्दनायै नमः ॥ दाहा ॥ निज गुरु पद रज वंदि पुनि सुमिर पवनसुत पाय ॥ करौं सिद्धांत मुक्तावलि गति अनन्य दरसाय || जगद दुषद जिय जानि के त्यागै जग व्यवहार ॥ राम मिलन हित पोजहों सा पुनि संत उदार || इक लिया पाषंडो वेष बहु लोभे नहि तेहि देषि ॥ इनमें हॉरजू ना मिलै वैष्णव में हरि लेषि ॥ ३ ॥ वैष्णव ते सा गुण अधिक राम भक्त जिय जाने || जिनके शरण गति मिलै राम सिया दृढ़ मानि ॥ ४ ॥ तिलक मधुर माला जुगल भुज अंकित धनुवान || राम सिया जुत नाम निज रामभक्त तेहि जान ॥ ५ ॥