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APPENDIX II.
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पढाय ॥२॥ जाति कर्म कराय विधि से पित्तर देव पुजाय ॥ करि प्रलंकृत द्वजन को द्वे लाख दीन। गाय ॥ ३ ॥ सात पर्वत तिलन के करि रत्न बाघ मिलाय ॥ करि कनिक अंबरनि प्रामृत दिये विप्र बुलाय ॥ ४ ॥ पढ़े मंगल गीत मागध सूत वंदी अघाय ॥ गीत गावे हरखि गायक नाचत नट नच वाय ॥ ५॥ वजनोयां मनीया मन वाहात फुले विविधि वाजन लाई ॥ जानि मंगल भेरि फेरी वाजे फेरि फेरि वजाय ॥ ६ ॥ धुजा पताका विधि विचित्रत भवन भवन घराय ॥ वसन पंडभ रचे तारन द्वार द्वार वधाय ॥ ७॥ वृखभ गाई सुवछ हरदी तेल तन लपटाय ॥ वसन वरह सुवर्ण माला धातु चित्र वनाय ॥ ८॥ गोप आए भेट ले ले दूध ददि संग लाई। पाग पदुका झगा भूखन महामोल सुहाई ॥ ९ ॥ ___End.-- राग नट ॥ जसादा सुत को चरित्र सुनाऊं ॥ लूटि लेत जहां तहां ते मावन जो घर मांह दुराऊं ॥१॥ काट उपाय करेह नीके नेक न पकरिहा पाउं॥ मुधि कर गही दृग राखि हु दे मे नोके हांथ लगाउ ॥ २॥ देखत ही दुरि जात भवन में जतन कोये न लखाउ ॥ रसिक प्रीतम लरिकाइ को हो वार चार वलि जाऊं ॥३॥ ४५५ ॥ इति श्री हरिराय जो कती पद संपुरणम | लिखितं लिखी गोकुन जो मध्ये श्री गोपाल कोतनीयां के मागिरद बल्लभ ने लिखो वाचे जाको जसो कृग ॥ ११ ॥
Subject -वर्ष भर के उत्सवों पर गाने योग्य पद।
No. 75. Panchāstika Vachaniki. by Hemarāja Pindeya. Substance-Country-mado paper, Leaves-92. Size-18"x 84". Linos por page 17. Extent-3420 ślokas. Appearauce- Old. Character-Nagari. Place of Deposit- Saraswati Bhandara, Jaina Mandira, Khurji.
Beginning.-"ॐ नमः सिद्धेभ्यः'' अथ पंचास्तिका ववनिका लिखिए है ॥ गाथा || इंद पद वंदि पाणं तितुपण हिद मधुर विसद. वक्काणं । अंतातीद गुणाणं ग्गमा जिणांणं जिद भवाणं ॥ १॥ इदं शत वैदि तेभ्यस्त्रिभुवन हित मधुर विसद वाक्येभ्यः ॥ अंतातीत गुणेभ्यो नमो जिन योजित भवेभ्यः ॥ अथ टोका। जिनेभ्यो नमः जिनेभ्यः कहिए सर्वज्ञ वोतराग तिनहि नमः कहिए नमस्कार होतु ॥ प्रनादि चतुर्गति संसार के जे कारण हैं ॥ राग द्वेष माह तिन करि जनित है। अनेक दुःख तिनको उपजावे है ॥ असे जे कर्म शत्रु तिनके जोतन हारे है तिन का नाम जिन कहिए । इस ही जिन पद की नमस्कार योग्य है और वन्दना करनां हो ॥ जातं अन्य देव का स्वरूप रागो द्वषो है । जिन पद वीतराग है इन्ही को भाव नमस्कार है ॥ एई परम मंगल है ॥ कैसे है सर्वज्ञ वीतराग देव इन्द्र शत वंदितेभ्यः इंद्र शत कहि पसा इंद्र तिन करि वंदितेभ्यः कहिए वंदनीक है ॥