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________________ APPENDIX II. 177 विहारो सातो कृत सतर्मा संपून ॥ पुरुषोत्तम दास जो के दाहा ॥ यद्यपि सामा सहज मुक्तन तऊ मुदेस ॥ यो पठार कुठौर के लर मैं हात विशेष ॥ ७१४ ॥ सालिप्रामो सरजु जहां मिली गंग सौ पाय ॥ अंतराल मैं देस सा हरि कवि को सरसाय ॥१॥ लिपे इहां भूषन बहुत । अनवर के अनुसार ॥ कहूं और कहूं और हूं निकरेंगे लंकार ॥२॥ सेवी जुगन किसार के प्राननाथ जी नाव ॥ सप्त सती तिन तें पढ़ि वसि सिंगारवट ठांव ॥ ३॥ जमुना तट शृंगार वट तुलसो विपिन सुदेस । सेवत संत महंत जाहि दंषत हरत कलस ॥४॥ पूरा हित श्री नंद के मुनि संडिल्य ॥ Subject. --बिहारी सतस को टोका। No. 72 (a). Chhauda-Payonidhi by Hari-dēva. Substanco-- Country-inado paper. Leaves--48. Sizo--10" x 6". Lines per page--20. Extent--1080 Slokas. Appssuranco-old. Character-- Nagari. Date of composition---Sumvat 1802. Date of manuscript--Sanivat 1923. Place of deposit--Raugi Lala, Kõsi, Mathura. Beginning.-श्री राधा रमण जो सहाय ॥ अथ छंद पयानिध लिघ्यते ॥ छप्पे छंद ॥ अतुन्न रूप गुन अनित नित्त नब जावन तन छवि ॥ वेद न पावत पार पार को वर्न सकहि कवि ॥ कुंजन करत विहार सपी मवत मुषदानी ॥ रसिक गुविंद गुरु दइ वताय वृदावन रानो ॥ जैन श्रीमती राधिका रमन संग साभित मदा ॥ करहु कृपा हरिदव पर मुद मंगल दिउ सरवदा ॥ १ ॥ संवैया ॥ कूजित कोकिन्न गूजित भैर सुनाचत मार महा सुपदाई ॥ भूमि झुको लतिका लषि बोच गुलाब की सेज सपोन विछाई ॥ बैठे तहां हरिदेव दुहूं मिलो मंद हसी सरमी छवि छाई ॥ सा सुष मा हिय मांहि वसा नित श्री वृषभान कुमार कन्हाई ॥२॥ अथ छंद पयोनिधि रूप ॥ कवित ॥ ग्रादि मंत्र दाउ तट राजत पुनोत जाके छंद कम चारू छोर छायो सरसाइ के ॥ नाना विधि बर्न अर्थ साई है रतनावल गनागन जल जंतु रहे सुचिपाइ के ॥ दंपति विहार फूले पंकज पुनोत तामै कीने जे प्रबंध ते तरंग छवि छाइ कै॥ सा हरिदेव कृत छंद पयोनिय है मज्जा कवि वृद जामैं पानंद वढाइ कै॥ ३॥ सारठा॥ है अति अगम अगाध दयो पंथ सा सुगम करि ॥ यह सुमम अपराध छिमा करहु कवि वुद्धिवर ॥ ४॥ __End.-अथ जल हरण दंडक ॥ छंद ॥ दोहा ॥ साल्है साल्है पै विरत अंत येक लघु जान ॥ बत्तिस अक्षर चरन के जल हरिना पहिचान ॥ १९२॥ यथा ॥ मंदर गुलाब के गुलाबदल सेज सज चंदन पलंग चारु चंदन चहूंघा फैल ॥ षाले षासे पस के है परदा दरोन दर अंतर बगार बार बाहर जहां जो गैन ॥ तहां हरिदेव
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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