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________________ APPENDIX II. 171 ब्रह्मishrटयः ॥ २ ॥ तथा श्री हनुमत्संहितायां महतलवा सह श्रास्य महा शम्भु शतम्यच उद्भवस्थिति संहार कर्ता श्री रघुनंदनः ॥ तथा श्री रद्रयामले | अयोध्या चंमर ब्रह्म सरयू सगुण पुमान तन्निवासी जगन्नाथस्सत्यं सत्यं वदाम्यहं ॥ १ ॥ अयोध्या नगरी नित्या सच्चिदानंद रूपिणीय दसांक्षेन गोलाको बैकुंठस्थ प्रति तिष्टितः ॥ शेोरठा ॥ जय जय सीताराम जासु नाम शुभ काम तरु । करहु हृदय मम धाम करुणा धाम स्वधाम प्रद ॥ १ ॥ इति श्री रामरत्नावली सम्पूर्णः पूर्वार्द्धः प्रथमो भागः ॥ पान चंदिका बख़्श को पृथ्वी पाल को लाल जन हरिवख़्श विशेन लिखि रत्नावलि मुदमाल || Subject. - श्री महाराजा रामचन्द्र जी के वचपन से खाने पीने रहन सहन का वर्णन है । No. 69. Gita Bhāshya by Hari Dēva Giri. SubstanceCountry-made paper. Leaves--69. Size--91" x 42". per page--12. Extent--2300 Ślokas. Appearance--Not very old. Character--Nagari. Date of composition Samvat 1901. Date of manuscript--Samvat 1901. Place of deposit — The Library of the late Rājā Ramesa Simha, Kālākāūkara, Pratāpagalha. Lines Beginning.—श्री रामचन्द्राय नमः ॥ बंदी व्यास शंकर मुनिहि सूत्रभाष्य करतार || कृष्ण गीत भाषा करौं सकल जनन सुषकार ॥ १ ॥ हरिहर गुरु गनपतिहि पुनि बंद बारहिबार ॥ श्री सारद काली चरण बंदों जो जगकार ॥ २ ॥ सेारठा ॥ काशी में निजबास अन जल के संजोग वस । पुर दलीप करि वास गिरि हरदेव भाषा सुजस ॥ ३ ॥ शक्ति सहित दिग देव मिज़ी चर ग्रह अचर वहोरि । विस्वनाथ अनुकूल तेहि पढ़ ै सदा कर जोरि ॥ ४ ॥ सुचि सनेह पढ़िहै जो नर सकल कामना चाहि । चारि पदारथ तासु गृह बसै देह धरि पाहि ॥ ५ ॥ धृतराष्ट्र उवाच चौपाई ॥ कुरु नरेस कर क्षेत्र पुनीता । ग्रध न रहै तह सुनहु विनीता ॥ मम सुत पांडु तनय तह गयऊ । जाइ तहा केहि विधि अनुसरेऊ ॥ धरम क्षेत्र कर है यह ती । पापबुद्धि तजि चलै सुनीति ॥ मम सुत अघ अवगुण कर बानो । तजिय कुमति किम सुमति न मानी || संजम धरम तनय को गीति ॥ अघ कृत करम तजै करि प्रीति । त्यागि युद्ध वन कह किमि गयऊ ॥ अथवा युद्ध करत सब भयऊ || १ || मू० श्री रामचन्द्राय नमः || धृतराष्ट्र उवाच ॥ धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे संजय ॥ १ ॥ End. – चौपाई ॥ बहु धन वहु सुत बहु जस होई || मन कम वचन पढ़ नर सेाई ॥ सहित नेम पढ़िहै नर नारी । ताकद सुलभ पदारथ चारी ॥ जो इच्छा
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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